Puri Stampede: भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी में इस बार की रथ यात्रा उल्लास की जगह मातम और चीख-पुकार लेकर आई। भीड़ में मच भगदड़, अफरा-तफरी और लाशों के ढेर ने ओडिशा की रथ यात्रा को इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक बना दिया। चारों तरफ चीत्कार, खून से सनी सड़कें और आक्रोशित लोगों की भीड़ ने सरकार की नींद उड़ा दी। और अब, इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने वो फैसला लिया है जिसने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है।
Puri Stampede: मुख्यमंत्री का ताबड़तोड़ एक्शन – SP और कलेक्टर पर गिरी गाज!
हादसे के ठीक 24 घंटे बाद मुख्यमंत्री माझी ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और वहां जो फैसला हुआ, उसने सबको चौंका दिया। पुरी के एसपी और जिलाधिकारी – दोनों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया। एसपी आशीष कुमार सिंह और डीएम समीर रंजन दास को उनके पद से हटा दिया गया है। इनकी जगह अब तेजतर्रार और विवादों से दूर रहने वाले अधिकारियों की तैनाती की गई है। (Puri Stampede) नई जिम्मेदारियों के तहत पिनाक मिश्रा को पुरी का नया एसपी और चंचल राणा को नया जिला कलेक्टर नियुक्त किया गया है। खास बात ये है कि इन्हें विशेष रूप से रथ यात्रा समाप्त होने तक का जिम्मा सौंपा गया है, ताकि हालात को काबू में रखा जा सके। यह बदलाव अपने आप में दिखाता है कि राज्य सरकार अब इस पूरे मामले को सख्ती से ले रही है और किसी भी तरह की कोताही को बर्दाश्त नहीं करने के मूड में है।
25 लाख का मुआवजा – मगर क्या जान की कीमत लगाई जा सकती है?
मुख्यमंत्री माझी ने हादसे में मारे गए श्रद्धालुओं के परिजनों के लिए प्रत्येक परिवार को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। (Puri Stampede) साथ ही गंभीर रूप से घायलों को समुचित इलाज और पुनर्वास का आश्वासन भी दिया गया है। लेकिन लोगों का सवाल सीधा और कटाक्ष भरा है – “क्या इंसानी जान की कीमत सिर्फ 25 लाख होती है?” सोशल मीडिया पर सरकार की मुआवजा घोषणा को ‘सांत्वना का चेक’ कहकर ट्रोल किया जा रहा है। (Puri Stampede) कई लोग पूछ रहे हैं कि जब हजारों पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी रथ यात्रा की निगरानी में लगे थे, तो फिर ये हादसा हुआ कैसे?
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रथ यात्रा की सुरक्षा अब सवालों के घेरे में
ओडिशा सरकार ने हर साल की तरह इस बार भी सुरक्षा के भारी-भरकम दावे किए थे। लेकिन हकीकत में न तो क्राउड कंट्रोल की व्यवस्था कारगर रही, न ही इमरजेंसी रिस्पॉन्स में तेजी थी। (Puri Stampede) वीडियो फुटेज से साफ है कि भगदड़ के बाद कम से कम 20 मिनट तक कोई सहायता नहीं पहुंची। अब ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह प्रशासन की लापरवाही थी या कुछ और? और अगर यही हाल रहा तो क्या आने वाले दिनों में रथ यात्रा श्रद्धालुओं के लिए खतरा बनती जा रही है? पुरी हादसे ने झकझोर दिया है पूरे राज्य को। मुख्यमंत्री के फैसले साहसिक जरूर हैं, पर क्या ये काफी हैं? या फिर ये सिर्फ जनता का गुस्सा ठंडा करने की कोशिश है? जवाब समय देगा, लेकिन फिलहाल पुरी में मातम पसरा है और लोग पूछ रहे हैं – “कौन है इस मौत के जुलूस का ज़िम्मेदार?