News

Justice Yashwant Varma Cash Row: कैश कांड में संसद का जस्टिस यशवंत वर्मा पर बड़ा एक्शन! ओम बिरला ने बनाई स्पेशल कमेटी, अब होगी खुली जांच

Published

on

Justice Yashwant Varma Cash Row: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश कांड में कड़ी कार्रवाई की गयी है। इस मामले में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ शिकायत को गंभीर रूप से इसपर एक्शन लेते हुए इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी के गठन का ऐलान किया है।

इस मामले में स्पीकर ओम बिरला का साफतौर से कहना है कि भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की राय में इस मामले पर गभीरता से जांच बेहद आवश्यक है। (Justice Yashwant Varma Cash Row) साथ ही, शिकायत की प्रकृति को गंभीरता से देखते हुए पद से हटाने की प्रक्रिया नियमों के मुताबिक शुरू करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा, ‘इस प्रस्ताव को उचित मानते हुए मैंने इसकी स्वीकृति दे दी है और पद से हटाने के अनुरोध पर समिति का गठन किया है।’

Also Read –Voting Rights March: 17 अगस्त से बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ‘वोट अधिकार यात्रा’: 3 दिनों में 23 जिलों का दौरा, जनता से करेंगे सीधा संवाद!

Justice Yashwant Varma Cash Row: समिति में ये तीन वरिष्ठ सदस्य शामिल

इस समिति में तीन वरिष्ठ सदस्य जिनमें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ कानूनविद B.V. आचार्य को शामिल किया गया है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर मिले थे जले नोट

जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली में स्थित सरकारी आवास पर 15 मार्च 2025 को 500 रुपये के अधजले नोट मिले थे। अब संसद की ओर से एक कमेटी गठित की जाएगी जिसमें इन आरोपों की गंभीरता से जांच होगी। (Justice Yashwant Varma Cash Row) जस्टिस वर्मा के खिलाफ सरकार की ओर से जो नोटिस जारी किया गया है, उस पर सरकार और विपक्ष दोनों पार्टियों के सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे, जबकि राज्यसभा में जो महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस तैयार किया गया है, उसपर केवल विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए है।

Also Read –Vvan Movie Star Cast: सिद्धार्थ मल्होत्रा की Vvan में इस एक्टर की एंट्री, नाम सुन हो जाएंगे खुश

बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने तर्क दिया कि जांच समिति अवश्य ही फैक्ट को चेक करने में सफल नहीं हो पायी है। एक संवैधानिक पदाधिकारी के रूप में उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Trending

Exit mobile version