रिपोर्ट में कहा कि गृह मंत्रालय ने समीक्षा बैठक के बाद ये फैसला लिया है। समीक्षा बैठक में पता चला था कि बीजेपी शासित राज्यों में तो भागवत की सुरक्षा चुस्त है, लेकिन गैर बीजेपी शासित राज्यों में उनकी सुरक्षा में ढिलाई बरती गई थी। संभावित खतरे के बाद ये फैसला लिया गया।
ASL स्तर की सुरक्षा से संबंधित जानकारी जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य और अन्य विभागों जैसी स्थानीय एजेंसियों को देनी होती है। ASL स्तर की सुरक्षा में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा होता है।