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Myanmar: ISRO के सेटेलाइट इमेज में दिखी म्यांमार भूकंप की तबाही, कई प्रमुख धरोहर नष्ट, देखें

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Myanmar: पृथ्वी से देखने पर शायद हम भूकंप के प्रभाव को पूरी तरह से समझ नहीं पाते, लेकिन जब ये घटनाएं आकाश से कैद होती हैं तो उनका असली आकार और हकीकत सामने आती है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में म्यांमार में आए विनाशकारी 7.7 तीव्रता के भूकंप की सेटेलाइट इमेज जारी की हैं, जो न केवल भूकंप से हुए व्यापक नुकसान को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि कैसे यह प्राकृतिक आपदा शहरों, ऐतिहासिक स्थलों और जनजीवन को पूरी तरह से तबाह कर देती है. (Myanmar) इन उच्च-रिजॉल्यूशन तस्वीरों को देखकर हर कोई हैरान रह जाएगा, क्योंकि ये सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि एक जिंदा साक्ष्य हैं इस भयानक आपदा के.

Myanmar: इसरो के कार्टोसैट-3 सेटेलाइट से ली गई इमेजेज

ISRO के Cartosat-3 सेटेलाइट ने इन भूकंप की तस्वीरों को 500 किलोमीटर की ऊंचाई से लिया है. इसके तस्वीर की खासियत ये है कि यह सेटेलाइट 50 सेंटीमीटर से भी कम सटीकता के साथ हाई-रिजॉल्यूशन इमेजेज ले सकता है. (Myanmar) इन इमेजेज में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि भूकंप ने म्यांमार के प्रमुख शहरों और ऐतिहासिक स्थलों को कैसे जख्मी किया है.

क्या नुकसान हुआ?

ISRO ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भूकंप ने म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में जबरदस्त तबाही मचाई. यहां के प्रमुख धरोहर स्थलों, जैसे स्काई विला, महामुनी पगोडा, और अनंदा पगोडा को या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है. अनंदा पगोडा जो कि UNESCO द्वारा मान्यता प्राप्त एक ऐतिहासिक स्थल है, उसकी हालत भी बेहद खराब हो गई है.

भूकंप ने म्यांमार के सगाइंग शहर में भी कई मठों और इमारतों को भारी नुकसान पहुंचाया है. इसके अलावा, उपग्रह चित्रों में आसपास की नदियों में दरारें भी दिखाई दी हैं, जो भूकंप के दौरान मिट्टी के अस्थिर होने का संकेत देती हैं. इसे लिक्विफेक्शन (liquefaction) कहते हैं, जिसमें भूमि पानी के साथ मिलकर कीचड़ में बदल जाती है और इमारतों को भी नुकसान पहुंचता है.

भूकंप का कारण, भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों का टक्कर

ISRO के वैज्ञानिकों के अनुसार म्यांमार क्षेत्र भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों की सीमा पर स्थित है और यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. भारतीय प्लेट हर साल करीब 5 सेंटीमीटर उत्तर की ओर बढ़ती है, जिससे भूकंपीय तनाव जमा हो जाता है. जब यह तनाव अचानक रिलीज होता है तो बड़े भूकंप आते हैं, जैसा कि म्यांमार में देखा गया है.

क्या नुकसान हुआ?

ISRO ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भूकंप ने म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में जबरदस्त तबाही मचाई. यहां के प्रमुख धरोहर स्थलों, जैसे स्काई विला, महामुनी पगोडा, और अनंदा पगोडा को या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है. (Myanmar) अनंदा पगोडा जो कि UNESCO द्वारा मान्यता प्राप्त एक ऐतिहासिक स्थल है, उसकी हालत भी बेहद खराब हो गई है.

भूकंप ने म्यांमार के सगाइंग शहर में भी कई मठों और इमारतों को भारी नुकसान पहुंचाया है. इसके अलावा, उपग्रह चित्रों में आसपास की नदियों में दरारें भी दिखाई दी हैं, जो भूकंप के दौरान मिट्टी के अस्थिर होने का संकेत देती हैं. इसे लिक्विफेक्शन (liquefaction) कहते हैं, जिसमें भूमि पानी के साथ मिलकर कीचड़ में बदल जाती है और इमारतों को भी नुकसान पहुंचता है.

भूकंप का कारण, भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों का टक्कर

ISRO के वैज्ञानिकों के अनुसार म्यांमार क्षेत्र भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों की सीमा पर स्थित है और यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. भारतीय प्लेट हर साल करीब 5 सेंटीमीटर उत्तर की ओर बढ़ती है, जिससे भूकंपीय तनाव जमा हो जाता है. जब यह तनाव अचानक रिलीज होता है तो बड़े भूकंप आते हैं, जैसा कि म्यांमार में देखा गया है.

मृतकों की संख्या और राहत कार्यों की मुश्किलें

म्यांमार के इस भूकंप में 2,056 लोगों की जान जा चुकी है और 3,900 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. लगभग 270 लोग अब भी लापता हैं. भूकंप के बाद म्यांमार में राहत कार्यों के दौरान भारी मुश्किलें आ रही हैं, क्योंकि देश में जारी गृहयुद्ध ने मदद पहुंचाने में रुकावट डाली है.

ISRO की सेटेलाइट इमेजेज का महत्व

ISRO की यह सेटेलाइट इमेजेज न सिर्फ म्यांमार में भूकंप से हुए नुकसान को दिखाती हैं, बल्कि ये दिखाती हैं कि कैसे उपग्रह आधारित तकनीक की मदद से प्राकृतिक आपदाओं का त्वरित विश्लेषण किया जा सकता है. यह आपदा प्रबंधन के लिए एक अहम उपकरण साबित हो सकता है, जो भविष्य में राहत कार्यों को जल्दी और प्रभावी तरीके से चलाने में मदद करेगा.

इस तरह से ISRO के सेटेलाइट द्वारा भेजी गई इमेजेज ने दुनिया को एक नई दृष्टि दी है कि किस तरह से तकनीक का इस्तेमाल कर के हम प्राकृतिक आपदाओं के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और आपदा के बाद की स्थिति का जल्दी से आकलन कर सकते हैं.

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