Pakistan Afghanistan Tension: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर हमले के सिर्फ 24 घंटे के अंदर ही पाकिस्तान की हेकड़ी निकल गई। गुरुवार रात हुए हवाई हमले के बाद जब तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने इस्लामाबाद को सीधे शब्दों में चेतावनी दी, तो शुक्रवार को पाकिस्तान का सुर ही बदल गया। (Pakistan Afghanistan Tension) वही पाकिस्तान, जो अक्सर अफगानिस्तान के मामलों में दखल देने से पीछे नहीं हटता था, अब बेहद सावधानी से बयान देने लगा है।
Pakistan Afghanistan Tension: पाकिस्तान के बदले सुर
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बयान जारी किया। (Pakistan Afghanistan Tension) इसमें उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान एक संप्रभु और स्वतंत्र देश है, और उसे किसी भी देश के साथ अपने संबंध बनाने का पूरा अधिकार है। यह बयान किसी दबाव या डर के बिना नहीं आया। दरअसल यह पाकिस्तान की घबराहट और तालिबान के बढ़ते आत्मविश्वास का संकेत है। मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं होना चाहिए, लेकिन इस बार उनके लहजे में पहले जैसी हेकड़ी नहीं थी।
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भारत-तालिबान नजदीकियों से बढ़ी बेचैनी
पाकिस्तान की यह बेचैनी अफगानिस्तान और भारत के बीच तेजी से बढ़ती नजदीकियों के कारण है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी इस समय भारत दौरे पर हैं। यह तालिबान के सत्ता में आने के बाद किसी वरिष्ठ नेता की पहली आधिकारिक भारत यात्रा है। (Pakistan Afghanistan Tension) शुक्रवार को मुत्ताकी ने नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, जिसके बाद भारत ने काबुल में अपने मिशन को पूर्ण दूतावास का दर्जा देने की घोषणा कर दी।
यह खबर पाकिस्तान के लिए किसी झटके से कम नहीं थी। इस्लामाबाद के रणनीतिक गलियारों में अब यह चर्चा है कि भारत और तालिबान के बीच रिश्ते मजबूत होना पाकिस्तान के लिए ‘डिप्लोमैटिक खतरा’ साबित हो सकता है।
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काबुल पर हमला और तालिबान का पलटवार
भारत-तालिबान की बढ़ती गर्मजोशी से परेशान पाकिस्तान ने मुत्ताकी के भारत पहुंचते ही काबुल पर हवाई हमला कर दिया। (Pakistan Afghanistan Tension) पाकिस्तानी सूत्रों के अनुसार, यह हमला तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के सरगना नूर वली महसूद को निशाना बनाने के लिए किया गया था। लेकिन इस कदम ने तालिबान सरकार को आगबबूला कर दिया।
तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान ने ऐसी हरकत दोहराई, तो उसे गंभीर अंजाम भुगतने पड़ेंगे। (Pakistan Afghanistan Tension) विदेश मंत्री मुत्ताकी, जो उसी वक्त भारत में थे, ने भी पाकिस्तान को दो टूक जवाब देते हुए कहा, “अफगानों के धैर्य की परीक्षा मत लो। ताकत अफगानिस्तान पर कभी काम नहीं आई, यह बात पाकिस्तान अमेरिका, रूस और नाटो से पूछ सकता है।”
तालिबान की चेतावनी का असर
तालिबान की यह सीधी ललकार पाकिस्तान के लिए भारी पड़ती दिख रही है। इस्लामाबाद अब खुले तौर पर बयान देने से बच रहा है और अफगानिस्तान को ‘स्वतंत्र देश’ बताकर अपने कूटनीतिक नुकसान को रोकने की कोशिश कर रहा है। काबुल की यह सख्त प्रतिक्रिया इस बात का सबूत है कि अब अफगानिस्तान की राजनीति में पाकिस्तान की पकड़ ढीली पड़ चुकी है, और तालिबान अपने नए अंतरराष्ट्रीय समीकरणों खासकर भारत जैसे देशों के साथ को लेकर कहीं ज्यादा आत्मविश्वासी हो चुका है।
पाकिस्तान जो कभी तालिबान का ‘मास्टरमाइंड’ समझा जाता था, अब उसी तालिबान की चेतावनी से सहमा हुआ दिख रहा है। काबुल की यह एक चेतावनी शायद पाकिस्तान को लंबे समय तक याद रहेगी क्योंकि अब अफगानिस्तान किसी के इशारों पर नहीं, बल्कि अपने दम पर बोल रहा है।