Pakistan News: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan News) में मजहबी कट्टरपंथ का दंश वहां के धार्मिक अल्पसंख्यक किस प्रकार झेल रहे हैं, इससे जुड़ी खबरें समय-समय पर आती रहती हैं। विवादित ईश निंदा कानून के नाम पर कई निर्दोषों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। कई बार तो उग्र भीड़ खुद फैसला लेते हुए पीड़ित को मौत के घाट उतार देती है। पाकिस्तान शासित पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर से एक ऐसा ही खौफनाक मामला सामने आया है। जिसमें एक उग्र भीड़ एक युवती की जान लेने पर आमदा है।
उस पर कथित रूप से पवित्र कुरान का अपमान करने का आरोप लगाया जा रहा है। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जंगल में लगी आग की तरह वायरल है। दरअसल, पूरा मामला लाहौर के एक रेस्तरां आईं एक युवती से जुड़ा हुआ है। युवती ने सफेद कलर की सलवार पहन रखी थी, जिस पर अरबी भाषा में कुछ लिखा हुआ था। वहां मौजूद कुछ लोगों ने कपड़े पर कुरान की आयातें लिखा हुआ समझकर महिला को घेर लिया और युवती से बहस करने लगे। इतनी देर में रेस्तरां के बाहर उग्र लोगों की भीड़ जमा हो गई।
भीड़ युवती पर कुरान का अपमान करने का आरोप लगाते हुए उसे जिंदा जलाने पर आमदा थी। घटना से जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें पीड़िता को रेस्तरां के अंदर अपनी जान बचाने की कोशिश करते हुए देखा जा सकता है। एक शख्स गुस्साई भीड़ से उसे बचाने की कोशिश करता है। हंगामे की जानकारी मिलने के बाद घटनास्थल पर महिला पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम पहुंचती है।
भीड़ पुलिस से युवती को उनके हवाले करने की मांग करती है लेकिन महिला अधिकारी ऐसा करने से मना कर देती हैं। महिला अधिकारी भीड़ से किसी तरह की हिंसा न करने की गुजारिश करती हैं। इसके बाद वो किसी तरह युवती को कंबल में ढंक कर उग्र भीड़ के बीच से उसे रेस्तरां से बाहर ले जाती हैं। इस दौरान कट्टरपंथियों की भीड़ को ‘गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा’ के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है।
उग्र भीड़ से पीड़ित युवती को बचाने वाली महिला पुलिस अधिकारी की अब जमकर तारीफ हो रही है। पंजाब पुलिस ने उन्हें पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है। एक्स पर इसकी जानकारी भी दी गई है, जिसमें पंजाब के आईजी डॉ उस्मान अनवर के हवाले से लिखा गया है – ‘गुलबर्ग लाहौर की बहादुर एसडीपीओ एएसपी सैयदा शहरबानो नकवी ने एक महिला को हिंसक भीड़ से बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। इस वीरतापूर्ण कार्य के लिए, पंजाब पुलिस ने उनके नाम की सिफारिश प्रतिष्ठित कायद-ए-आज़म पुलिस पदक (क्यूपीएम) के लिए की है, जो पाकिस्तान में कानून प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।‘
हिंसक भीड़ से किसी तरह जिंदा बचने वाली महिला ने घटना के लिए लोगों से माफी मांगी है। उसने एक सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा कि मुझे कपड़े का डिजाइन पंसद आया था, इसलिए मैंने खरीदा। मेरा इरादा कुरान का अपमान करने का नहीं था। इस घटना के लिए मैं माफी मांगती हूं. हालांकि, दूसरी तरफ पाकिस्तान की सोशल मीडिया पर देश में लगातार बढ़ रहे मजहबी कट्टरपंथ और लोगों में पनप रही भारी असहिष्णुता पर भी चिंता जताई जा रही है। बता दें कि पाकिस्तान में हिंसक भीड़ ने कथित ईशनिंदा का आरोप लगाकर अब तक कई धार्मिक अल्पसंख्यकों को मौत के घाट उतार चुकी है।