Raebareli Lok Sabha Seat 2024 : यूपी के हॉट सीटों में शामिल रायबरेली लोकसभा सीट पर हमेशा से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां से 17 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, जिसमें से कांग्रेस (आई) दो बार जीत दर्ज की है। भाजपा ने दो बार जीत का स्वाद चखा है। जबकि जनता पार्टी के राज नारायण ने भी एक बार जीत दर्ज की है। वहीं सपा और बसपा का इस सीट पर आज तक तक खाता नहीं खुला है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी जीती थीं, लेकिन इस बार सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा पहुंचीं। रायबरेली में नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। वहीँ अब रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार की भी घोषणा हो गई है, राहुल गांधी ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। जबकि भाजपा ने यहां से दिनेश प्रताप सिंह पर दुबारा विश्वास जताया है। वहीं बसपा ने ठाकुर प्रसाद को उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार रहीं सोनिया गांधी ने भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोट से हराकर अपने जीत के विजयरथ को आगे बढ़ाया था। इस चुनाव में सोनिया गांधी को 5,34,918 और दिनेश प्रताप सिंह को 3,67,740 वोट मिले थे। जबकि एबीपीडी के उम्मीदवार अशोक प्रताप मौर्य उर्फ शोभनाथ को 9,459 वोट मिले थे।
वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भाजपा के उम्मीदवार अजय अग्रवाल को 3,52,713 वोट से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में सोनिया गांधी को 5,26,434 और अजय अग्रवाल को 1,73,721 वोट मिले थे। जबकि बसपा के प्रवेश सिंह को 63,633 वोट मिले थे।
Raebareli Lok Sabha Seat 2024 :यहां जानें रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के बारे में रायबरेली लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 36 है। यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
इस लोकसभा क्षेत्र का गठन रायबरेली जिले के रायबरेली सदर, हरचन्दपुर, उचांहार, सलोन, सरेनी, बछरावां विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। रायबरेली लोकसभा के 6 विधानसभा सीटों में से 2 पर भाजपा और 4 पर सपा का कब्जा है। यहां कुल 17,02,248 मतदाता हैं। जिनमें से 8,06,066 पुरुष और 8,96,132 महिला मतदाता हैं। रायबरेली लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 9,59,022 यानी 56.34 प्रतिशत मतदान हुआ था।
रायबरेली जिले की सरकारी वेबसाइट बताती है कि इस शहर को भरों ने स्थापित किया था, इसलिए इसका नाम पहले भरौली या बरौली था, बाद में बरेली हो गया। आगे लगे ‘राय’ का रिश्ता कायस्थों से जोड़ा जाता है जो कुछ समय के लिए यहां काबिज थे। हालांकि, यह कांग्रेस के गांधी परिवार का गढ़ रहा है। अगर रायबरेली सीट पर उपचुनावों को जोड़ लें तो अब तक कुल 20 लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें 17 बार कांग्रेस को जीत मिली है। 90 के दशक में सपा भी दो बार लड़ाई में आई, लेकिन जीत नहीं पाई। 2009 से उसने गांधी परिवार के समर्थन में उम्मीदवार उतारना बंद कर दिया। बसपा यहां जरूर लड़ती रही है। 2009 में वह दूसरे नंबर पर जरूर थी, लेकिन लड़ाई में कभी नहीं रही।
आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में यह सीट रायबरेली-प्रतापगढ़ के नाम से जानी जाती थी। नेहरू के दामाद और इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने यहां से पर्चा भरा। इंदिरा तब कांग्रेस की राजनीति में हाथ बंटाने लगी थीं। पति के प्रचार के लिए वह भी रायबरेली पहुंचीं। फिरोज आसानी से चुनाव जीत गए और उन्होंने अगले दो चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई। 1960 में जीत के बाद उनका निधन हो गया। उपचुनाव में आरपी सिंह ने उनकी जगह ली। 1962 में भी जीत कांग्रेस के ही खाते में रही। लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद इंदिरा पीएम बनीं। चुनाव मैदान में उनका उतरना लाजिमी था। 1967 में उन्होंने पति की सीट रायबरेली को चुना और रायबरेली ने उन्हें।
Raebareli Lok Sabha Seat 2024 : 1977 के चुनाव में इंदिरा का मिली हार देश की राजनीति और वैश्विक कूटनीति में इंदिरा का कद आसमान तक पहुंच चुका था। सफलता के इस उत्साह में इंदिरा ने ऐसी चूक कर दी जो भारतीय लोकतंत्र में काले अध्याय के तौर पर जानी जाती है। 1975 में इंदिरा ने इमरजेंसी लगा दी। इसके बाद 1977 का चुनाव हुआ तो जेपी की अगुआई में पूरे देश में ‘इंदिरा हटाओ’ का नारा गूंज रहा था। इसने 25 साल से अभेद्य रहा रायबरेली का किला भी तोड़ दिया। इंदिरा गांधी को कोर्ट में हराने वाले राजनारायण यहां भी जीत गए और इंदिरा हार गई। 1971 में इसी सीट से राजनारायण को हार मिली थी। हालांकि, गुबार निकालने के बाद रायबरेली फिर कांग्रेस के साथ हो गया। 1980 में यहां इंदिरा को जीत मिली, लेकिन उन्होंने रायबरेली की जगह आंध्र प्रदेश के मेडक से नुमाइंदगी का फैसला किया।
रायबरेली की सदस्यता से त्याग दिया तो यहां हुए उपचुनाव व उसके बाद 1984 के आम चुनाव में उनकी विरासत भतीजे अरुण नेहरू ने संभाली। उनको मिनी प्रधानमंत्री माना जाता था। 1980 के उपचुनाव में अरुण नेहरू ने जनता पार्टी के और छोटे लोहिया के नाम से मशहूर रहे जनेश्वर मिश्र को हराया था। इंदिरा गांधी ने भतीजे अरुण नेहरू पर बड़ी जिम्मेदारी दी तो दिल्ली में अरुण नेहरू का कद बढ़ गया।
मां के विश्वासपात्र होने के कारण राजीव गांधी की अपने चचेरे भाई अरुण से गहरी दोस्ती हो गई। राजीव ने भाई संजय गांधी के निधन के बाद राजनीति में कदम रखा और अरुण नेहरू उनके सलाहकार बने। इसके बाद 1985 में जब अरुण नेहरू को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के पद से हटाया गया तो उसके बाद दोस्ती की जगह दरार का रास्ता खुल गया। नतीजा यह रहा कि अरुण नेहरू ने कांग्रेस छोड़ दिया। 1989 और 1991 में इंदिरा की मामी शीला कौल ने कांग्रेस के टिकट पर रायबरेली का प्रतिनिधित्व किया।
देश में 90 के दशक में चल रहा रामलहर कांग्रेस के लिए खराब दौर की पटकथा लिखने लगा था। 1991 में चुनाव के बीच राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के सिर से गांधी परिवार की छांव हट गई। राहुल और प्रियंका छोटे थे और सोनिया गांधी राजनीति से दूर। इस दौर में रायबरेली भी कांग्रेस से रूठ गई। 1996 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां शीला कौल के बेटे विक्रम कौल को उम्मीदवार बनाया लेकिन जीत मिली भाजपा के अशोक सिंह को। दूसरे नंबर पर जनता दल के अशोक सिंह रहे व तीसरे नंबर पर बसपा। रायबरेली से 11 चुनाव जीतने वाली कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई। 1998 में भी यही कहानी दोहराई गई। अशोक ने दोबारा कमल खिलाया। इस बार दूसरे-तीसरे पर सपा-बसपा रही। नेहरू के बेटी-दामाद को स्वीकारने वाले रायबरेली ने इस बार शीला की बेटी की जमानत जब्त करा दी।
Raebareli Lok Sabha Seat 2024 : सोनिया के आने के बाद कांग्रेस की हार का सिलसिला टूटा कांग्रेस आखिरकार सोनिया को राजनीति में लाने में कामयाब हुई। 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष बनीं सोनिया ने 1999 के चुनाव में अमेठी से पर्चा भरा। उसका असर बगल की सीट रायबरेली पर भी हुआ। कांग्रेस की हार का सिलसिला टूटा व कैप्टन सतीश शर्मा चुनाव जीते। कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव जीते अरुण नेहरू को भाजपा ने टिकट दिया था, लेकिन जनता ने उन्हें चौथे नंबर पर धकेल दिया। 2004 से सोनिया ने खुद रायबरेली की नुमाइंदगी का फैसला किया। सोनिया पर रायबरेली हमेशा एकमत रहा और अब तक उन्होंने यहां एकतरफा जीत हासिल की है। 2006 में लाभ के पद मामले में फंसने के चलते सोनिया को इस्तीफा देना पड़ा था। तब हुए उपचुनाव में रायबरेली में उन्हें 80 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा ने यहां पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार को उतारा, लेकिन वह 20 हजार वोट भी नहीं हासिल कर सके।
Raebareli Lok Sabha Seat 2024 : रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण रायबरेली लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण काम नहीं करता है। यहां पर हमेशा से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 32 फीसदी से ज्यादा है. यहां पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 11 फीसदी है तो ठाकुर बिरादरी के 9 फीसदी हैं। यादव बिरादरी की संख्या 7 फीसदी रही है। इनके अलावा मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 6 फीसदी के करीब रही है। साथ ही लोध और कुर्मी मतदाता भी अपनी अहम भूमिका रखते हैं।
Raebareli Lok Sabha Seat 2024 : रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद कांग्रेस से फिरोज गांधी 1952 और 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए। कांग्रेस से आर पी सिंह 1960 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए। कांग्रेस से बैजनाथ कुरील 1962 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए। कांग्रेस से इन्दिरा गांधी 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं। जनता पार्टी से राज नारायण 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए। कांग्रेस से इन्दिरा गांधी 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं। कांग्रेस से अरुण नेहरू 1980 और 1984 में लोकसभा उपचुनाव में सांसद चुने गए। कांग्रेस से शीला कौल 1989 और 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं। भाजपा से अशोक सिंह 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए। कांग्रेस से सतीश शर्मा 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए। कांग्रेस से सोनिया गांधी 1999, 2004, 2006, 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।