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Rahul Gandhi Press Conference: वोट चोरी पर राहुल गाँधी का सबसे बड़ा खुलासा, प्रेजेंटेशन दिखा कर खोल रहे EC की पोल

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Rahul Gandhi Press Conference: क्या भारत में अब वोट डालना भी एक ‘सिस्टम’ का हिस्सा बन चुका है? क्या आम आदमी का वोट किसी के डिजिटल प्लान का शिकार हो चुका है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर ऐसा मुद्दा उठाया है, जो सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं बल्कि भारत के लोकतंत्र की बुनियाद पर सीधा हमला है। (Rahul Gandhi Press Conference) वोटर वेरिफिकेशन मुद्दे पर राहुल गाँधी ने गुरुवार को इंदिरा भवन दिल्ली में चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा कर दिया। प्रेजेंटेशन दिखा कर प्रेस कॉन्फ्रेंस को कर रहे है संबोधित। इस दौरान उन्होंने वोट चोरी पर सबसे बड़ा खुलासा किया।

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Rahul Gandhi Press Conference: प्रेजेंटेशन के ज़रिए खोले बड़े राज

गंभीर चेहरे और ठोस आंकड़ों के साथ राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनाव आयोग पर सीधे सवाल दाग दिए। (Rahul Gandhi Press Conference) उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र का चुनाव “चोरी” हुआ है, और यह चोरी किसी एक-दो फर्जी वोट की नहीं, बल्कि 40 लाख रहस्यमयी वोटर्स की कहानी है। “हम महाराष्ट्र में चुनाव हारे, लेकिन हारने का कारण सिर्फ जनमत नहीं था, बल्की वो छाया वोटर थे जो असल में मौजूद ही नहीं थे।” – राहुल गांधी

वोटर लिस्ट या ‘डुप्लीकेट डेटा बेस’?

राहुल ने बताया कि पांच महीनों के भीतर महाराष्ट्र में लाखों वोटर अचानक जोड़ दिए गए। (Rahul Gandhi Press Conference) कई पते ऐसे हैं जहां एक ही मकान में 46 वोटर दर्ज हैं। कुछ मकानों के पते शून्य हैं, और कई वोटरों के पिता के नाम में अजीबोगरीब जानकारी दर्ज की गई है। उन्होंने एक चौंकाने वाला आंकड़ा साझा किया 11,000 ऐसे संदिग्ध लोग हैं जिन्होंने तीन बार वोट डाला। सवाल है ये कैसे मुमकिन है?

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राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर जानबूझकर डेटा छुपाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कई बार इलेक्ट्रॉनिक डेटा मांगा, लेकिन चुनाव आयोग ने या तो टालमटोल की या फिर सीधा इनकार कर दिया। (Rahul Gandhi Press Conference) “हमने दस्तावेज़ के साथ सवाल उठाए, लेकिन आयोग ने चुप्पी साध ली। ये सिर्फ एक चूक नहीं, एक योजना है,” राहुल ने कहा।

लोकतंत्र पर सवाल, और जवाब कौन देगा?

राहुल गांधी की ये पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस महज विरोध नहीं थी, बल्कि एक चेतावनी थी कि अगर देश में फर्जी वोटिंग यूं ही चलती रही, तो अगला चुनाव आम जनता की नहीं, डेटा ऑपरेटर की जीत होगी।

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