अमेरिका के बोस्टन में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयान और नेशनल हेराल्ड मामले में उनके शामिल होने को लेकर भाजपा हमलावर है। (Rahul Gandhi vs BJP) दरअसल, राहुल ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान भारतीय चुनाव प्रक्रिया और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए। इसे लेकर सांसद संबित पात्रा ने कहा, ‘विदेशी धरती पर देश का अपमान करना राहुल गांधी की पुरानी आदत है। वे लंबे समय से ऐसा करते आ रहे हैं।
Rahul Gandhi vs BJP: ‘देश को लूटने के आरोप में जेल भी जा सकते हैं’
उन्होंने कहा कि ईडी ने अपनी चार्जशीट में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नाम का उल्लेख किया है। वे देश को लूटने के आरोप में जेल भी जा सकते हैं। इस बीच कांग्रेस पार्टी पूरे देश में अशांति का माहौल बना रही है। (Rahul Gandhi vs BJP) जो लोग 50,000 रुपये की जमानत पर बाहर हैं, अगर उन्हें लगता है कि वे विदेश जाकर वहां बोलकर इस महान लोकतंत्र की छवि को नष्ट कर सकते हैं, तो वे पूरी तरह गलत हैं।
‘जहां भी वे हारते हैं, वहां कहते हैं कि चुनाव आयोग और ईवीएम गलत है’
दरअसल, बोस्टन की ब्राउन यूनिवर्सिटी में राहुल गांधी ने कहा, ‘हमारे लिए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ने समझौता कर लिया है और यह बिल्कुल स्पष्ट है कि व्यवस्था में कुछ गड़बड़ है। मैंने यह कई बार कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में वयस्कों की संख्या से ज्यादा लोगों ने मतदान किया। चुनाव आयोग ने हमें शाम 5:30 बजे तक मतदान का आंकड़ा दिया और शाम 5:30 बजे से 7:30 बजे के बीच 65 लाख मतदाताओं ने मतदान किया। ऐसा होना असंभव है। (Rahul Gandhi vs BJP) एक मतदाता को मतदान करने में लगभग 3 मिनट लगते हैं और अगर आप गणित करें तो इसका मतलब है कि सुबह 2 बजे तक मतदाताओं की कतारें लगी हुई थीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब हमने उनसे वीडियोग्राफी के लिए कहा तो उन्होंने न केवल मना कर दिया बल्कि उन्होंने कानून भी बदल दिया ताकि अब हम वीडियोग्राफी के लिए न कह सकें।’
भाजपा ने घेरा तो देनी पड़ी सफाई
राहुल गांधी के बयान पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भाजपा अपने आप को या निर्वाचन आयोग को सुधारती क्यों नहीं है? (Rahul Gandhi vs BJP) राहुल गांधी ने अपने अध्ययन भाषण के दौरान जो कहा है, उसमें तथ्य दिए हैं, लेकिन क्या यह तथ्य अमेरिका में मालूम नहीं है? जब तक इस देश का चुनाव आयोग निष्पक्ष, स्वतंत्र या किसी दबाव से मुक्त नहीं होगा, तब तक लोकतंत्र कैसे जिंदा रहेगा?