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Ram Lalla Surya Tilak : राम के ललाट पर भास्कर ने तिलक लगाकर किया अभिनंदन, दिखी अनोखी छटा, मंत्रमुग्ध हुए देशवासी

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Ram Lalla Surya Tilak : अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक की विशेष तैयारी हो रही है। आज, 19 घंटे से अधिक के लिए रामलला के दर्शन होंगे। आज सुबह 3:30 बजे मंदिर के कपाट खुल गए और श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है।

Ram Lalla Surya Tilak : आज, यानी 17 अप्रैल, देश भर में राम के जन्मोत्सव को रामनवमी (Ram Navami 2024) के रूप में मनाया जा रहा है। रामनवमी (Ram Navami 2024) के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु राम मंदिर (Ram Mandir) में भगवान रामलला के दर्शन करने के लिए पहुंचे हैं। राम मंदिर (Ram Mandir) में रामलला के दर्शन के लिए सुबह से ही लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं। मंदिर प्रशासन की तरफ से लोगों को दर्शन कराने के लिए सुचारू व्यवस्था की गई। प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सहित तमाम बड़े नेताओं देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।

रामलला का हुआ सूर्य तिलक (Ram Lalla Surya Tilak)

Ram Lalla Surya Tilak : अयोध्या (Ayodhya) में रामलला के सूर्य तिलक (Ram Lalla Surya Tilak) के लिए विशेष तैयारी की गई। दोपहर 12.15 बजे मंदिर में श्रीराम के मस्तक पर सूर्य किरणें पड़ी और 550 साल बाद पहली बार अयोध्या में विराजमान हुए रामलला का सूर्य तिलक किया गया। सूर्य तिलक के दौरान पूरी दुनिया में प्रभु राम के भक्तों की निगाहें 5 मिनट तक अयोध्या धाम पर टिक गईं। भारत सहित विश्व के कोने-कोने से लोगों ने बाल्यकाल रामलला का सूर्य तिलक देखा। रामनवमी पर अयोध्या मंदिर पर 19 घंटे से ज्यादा रामलला के दर्शन चलेंगे। सुबह 3.30 बजे मंदिर के कपाट खुले। कपाट खुलते ही राम भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा हुआ है।

जानिये किस तरह किया गया सूर्य तिलक?

Ram Lalla Surya Tilak : रामलला के सूर्य तिलक के लिए वैज्ञानिकों ने खास तैयारी की। मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर लगे दर्पण पर ठीक दोपहर 12.15 बजे सूर्य की किरणें भगवान राम के ललाट पर पड़ी। दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणे एक पीतल के पाइप में आई। पाइप के छोर पर एक दूसरा दर्पण लगा है। इस दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित हुई और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ी। दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर आई। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस पड़े, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ी। लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर एक और दर्पण लगा रहा। बढ़ी हुई तीव्रता के साथ किरणें इस दर्पण पर पड़ीं। बाद में 90 डिग्री पर मुड़ते हुए ये किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पड़ी। इस पर प्रभु राघव का सूर्य देव ने सूर्य तिलक से अभिनंदन किया।

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