विदेश
Sri Lanka Salt Crisis: नमक के लिए श्रीलंका बना भिखारी! वहां के लोगों के लिए अब ये ‘सफेद सोना’, 1 किलो का दाम जानकार घूम जाएगा दिमाग

Published
3 सप्ताह agoon
By
News Desk
Sri Lanka Salt Crisis: श्रीलंका की सरज़मीं पर इन दिनों एक अभूतपूर्व संकट ने जनजीवन को झकझोर कर रख दिया है। ये संकट न किसी युद्ध का नतीजा है, न किसी महामारी का, बल्कि यह संकट है उस चीज़ का, जो हर घर की रसोई में आमतौर पर सबसे सस्ती और सबसे अनदेखी चीज़ मानी जाती है नमक। लेकिन आज वही नमक श्रीलंका की जनता के लिए विलासिता बन चुका है। स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि लोग दुकानों में नमक के लिए भीख जैसी स्थिति में पहुंच चुके हैं, और जिन दुकानों में नमक मौजूद है, वहाँ उसे छिपाकर रखा जा रहा है जैसे वह कोई गहना हो।

Sri Lanka Salt Crisis: ‘सफेद सोना’ बना नमक: बाजार में अंधाधुंध महंगाई
श्रीलंका में इन दिनों भारी बारिश और मौसमी आपदाओं ने नमक उत्पादन की रीढ़ तोड़ दी है। समुद्री किनारों पर लगे सॉल्ट पैन पानी में डूब चुके हैं, जिससे नमक उत्पादन पूरी तरह से रुक गया है। (Sri Lanka Salt Crisis) पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे इस देश में नमक जैसी जरूरी चीज़ की कमी ने हालात को और बदतर बना दिया है। आज श्रीलंका सिर्फ अपनी जरूरत का 23 प्रतिशत नमक ही खुद बना पा रहा है, बाकी के लिए वह पूरी तरह बाहर से आयात पर निर्भर है। और इसी स्थिति का फायदा उठाकर काले बाजार ने अपनी जड़ें फैला ली हैं। (Sri Lanka Salt Crisis) खबर है कि कुछ इलाकों में नमक की कीमत 145 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है, जो सामान्य कीमत से चार गुना ज़्यादा है। जो लोग यह कीमत नहीं चुका सकते, उन्हें कई किलोमीटर तक भटकने के बावजूद नमक नहीं मिल पा रहा।सोशल मीडिया पर श्रीलंकाई नागरिक दुकानों की खाली अलमारियों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं। कुछ तो यह भी लिख रहे हैं कि अब वे भोजन का स्वाद नहीं, सिर्फ उसकी मजबूरी खा रहे हैं। घरों में बचा हुआ थोड़ा-बहुत नमक अब सहेजकर रखा जा रहा है, जैसे वह किसी अनमोल धरोहर से कम न हो।

भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ
ऐसे संकट की घड़ी में भारत एक बार फिर श्रीलंका के लिए संकटमोचक बनकर सामने आया है। भारत ने 3,050 मीट्रिक टन नमक की आपातकालीन खेप श्रीलंका भेजी है। इसमें से 2,800 मीट्रिक टन नमक भारत की राष्ट्रीय नमक कंपनी ने भेजा है, जबकि 250 मीट्रिक टन नमक निजी कंपनियों से आया है। (Sri Lanka Salt Crisis) यह कदम न केवल एक मानवीय सहायता है, बल्कि इसे ‘सॉफ्ट डिप्लोमेसी’ के तौर पर भी देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारत की यह ‘नमक कूटनीति’ एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। (Sri Lanka Salt Crisis) श्रीलंका में चीन ने पिछले कुछ वर्षों में भारी निवेश और कर्ज के ज़रिए अपनी पकड़ मजबूत की है। लेकिन भारत अब मानवीय सहायता और सांस्कृतिक निकटता के सहारे इस दबदबे को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। बीते वर्षों में श्रीलंका ने चीन से भारी कर्ज लिया और कई परियोजनाएं चीन की मदद से शुरू कीं, जिनमें से सबसे चर्चित हंबनटोटा बंदरगाह है। लेकिन इससे देश की अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता दोनों ही डगमगाने लगी। भारत अब बिना शर्त मदद देकर यह संदेश देना चाहता है कि असली पड़ोसी वही होता है जो संकट में साथ खड़ा हो।
नमक पर सियासत: भारत बनाम चीन
भारत की यह मदद ऐसे समय में आई है जब श्रीलंका में चुनावी माहौल बनने लगा है। देश की जनता उन नेताओं को अब पसंद नहीं कर रही जो चीन के प्रभाव में रहकर देश को कर्ज़ में डुबोते रहे। ऐसे में भारत की सीधी मानवीय सहायता को जनता एक राहत के साथ-साथ एक भरोसे के रूप में देख रही है। (Sri Lanka Salt Crisis) इसके उलट चीन ने अब तक श्रीलंका की इस नमक संकट में कोई ठोस मदद नहीं की है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वही चीन है जो जबरन कर्ज़ देकर देश को गिरवी रख देता है, जबकि भारत बिना शर्त ज़रूरतमंदों की मदद करता है। यही कारण है कि श्रीलंका में भारत की छवि अब एक भरोसेमंद मित्र की तरह उभर रही है।
श्रीलंका की नीतिगत विफलता और जनता की त्रासदी
इस संकट के पीछे एक और बड़ी वजह है श्रीलंका की कृषि और आपूर्ति नीतियों की असफलता। दो साल पहले जब देश में गंभीर आर्थिक संकट आया, तब भी सरकार ने समय रहते आपूर्ति चेन को दुरुस्त नहीं किया। विदेशी मुद्रा की भारी कमी ने आयात को रोक दिया और स्थानीय उत्पादन भी मौसम और अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया। (Sri Lanka Salt Crisis) आज श्रीलंका की 28 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी खाद्य असुरक्षा की स्थिति में है। 60 लाख से अधिक लोग दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नमक की यह कमी दरअसल उस गहराई की झलक है जिसमें श्रीलंका की अर्थव्यवस्था डूबी हुई है।
नमक’ से आगे की सोच: क्या यह भारत के लिए अवसर है?
भारत की यह सहायता एक कूटनीतिक अवसर बनकर उभर सकती है। जैसे ‘वैक्सीन डिप्लोमेसी’ के ज़रिए भारत ने महामारी के दौरान वैश्विक नेतृत्व की छवि बनाई थी, वैसे ही अब ‘नमक डिप्लोमेसी’ के ज़रिए वह दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ मज़बूत कर सकता है। (Sri Lanka Salt Crisis) राजनयिकों का मानना है कि भारत को श्रीलंका में स्थायी रूप से आपूर्ति केंद्र खोलने चाहिए, ताकि ऐसे संकटों में लगातार मदद पहुंचाई जा सके। इससे भारत की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी और चीन जैसी ताकतों को चुनौती भी दी जा सकेगी।
एक चुटकी नमक ने दिखाया सियासत का स्वाद
कहा जाता है कि नमक खाने से स्वाद आता है, लेकिन श्रीलंका के मौजूदा हालात ने दिखा दिया है कि नमक की एक चुटकी देश की सियासत, कूटनीति और जनजीवन की दिशा बदल सकती है। (Sri Lanka Salt Crisis) जब एक देश में नमक ‘सफेद सोना’ बन जाए और पड़ोसी देश बिना शोर किए मदद लेकर पहुंचे, तो यह सिर्फ एक मानवीय कार्य नहीं, बल्कि पड़ोस की परिभाषा का नया अध्याय होता है। भारत की यह नमक कूटनीति एक मिसाल बन सकती है कि कैसे छोटी-सी चीज़ भी बड़े बदलाव की नींव रख सकती है। श्रीलंका की जनता इस समय भारत की ओर सिर्फ राहत के लिए नहीं, बल्कि भरोसे के लिए देख रही है। (Sri Lanka Salt Crisis) अब देखना यह होगा कि क्या यह भरोसा आने वाले वर्षों में भी कायम रहेगा या यह सिर्फ एक अस्थायी मिठास बनकर रह जाएगा।

You may like
Ahmedabad Plane Crash: अब तक का सबसे भयानक विमान हादसा, ट्रंप ने दी मदद की पेशकश, ब्रिटिश नेताओं ने बताया विनाशकारी, दुनियाभर से भारत को मिल रहा समर्थन
Israel Iran War: दुनिया देखेगी परमाणु हमला! इजरायल की तैयारी पूरी, सेना को दिया बड़ा निर्देश; क्या होगा यदि फूटा बम…
PM Modi Ahmedabad: अहमदाबाद पहुंचे PM मोदी, जांच के लिए हाई लेवल कमेटी गठित, 241 मौतें, ग़म में डूबा देश
Delhi News: फेक करंसी नेटवर्क का पर्दाफाश! दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की बड़ी कामयाबी, 500 रुपये के 4 लाख के नकली नोट बरामद
Raja Raghuvanshi Murder Case: किसने रची मौत की साजिश? SIT के तीखे सवालों के घेरे में सोनम और उसका राज!
Al Qaida Challenge to Donald Trump: अमेरिका को कर देंगे खत्म! अलकायदा ने खुलेआम ट्रंप को ललकारा; तीन हैं टारगेट