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UN: ‘डॉ. आंबेडकर की वकालत भारत की सीमाओं से भी कहीं आगे’, संयुक्त राष्ट्र में बोले केंद्रीय मंत्री अठावले

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UN: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने संयुक्त राष्ट्र में बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर को नमन किया। डॉ. आंबेडकर की 134वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि उनकी वकालत भारत की सीमाओं से कहीं आगे तक गूंजती है। जो उन्हें आधुनिक मानवाधिकार आंदोलन का प्रतीक बनाती है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री डॉ. रामदास अठावले ने कहा कि डॉ. बीआर आंबेडकर ने समानता, प्रतिनिधित्व और मानवाधिकार जैसे सिद्धांतों के लिए लड़ाई लड़ी थी, वे 2030 के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक प्रयासों में अधिक प्रासंगिक हैं। डॉ. आंबेडकर का जीवन भारतीय इतिहास का एक अध्याय मात्र नहीं है। यह पूरी मानवता के लिए एक प्रकाश स्तंभ है। वे जाति, गरीबी और औपनिवेशिक उत्पीड़न द्वारा लगाए गए हर अवरोध को पार कर समानता, सम्मान और लोकतंत्र के लिए एक वैश्विक वकील बने।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले यहां एकत्र हुए हैं। डॉ. आंबेडकर का जीवन समाज के हर स्तर पर बदलाव की प्रेरणा देता है। उनकी विरासत के संरक्षक के रूप में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने निर्णायक और व्यवस्थित कदम उठाए हैं। मंत्रालय ने हाशिए पर पड़े समुदायों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़े वर्गों, वरिष्ठ नागरिकों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और विकलांग व्यक्तियों के उत्थान के उद्देश्य से कार्यक्रमों और नीतियों को लागू किया है। उन्होंने मंत्रालय की योजनाओं की भी जानकारी दी।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ने कहा कि डॉ. आंबेडकर लोकतंत्र को एक जीवन पद्धति के रूप में देखते थे, जिसके संस्थागत तंत्र और स्तंभ अपने आप में साध्य नहीं थे, बल्कि भारतीय संविधान की सांविधानिक नैतिकता को लागू करने का साधन थे।

न्यूयॉर्क शहर के मेयर के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय के डिप्टी कमिश्नर दिलीप चौहान ने कहा कि डॉ. आंबेडकर के आदर्श सीमाओं और समय से परे हैं। उन्होंने हमें दिखाया कि समावेश एक एहसान नहीं बल्कि एक मौलिक अधिकार है। उन्होंने हमें अन्याय का सामना चुप्पी से नहीं बल्कि एकजुटता से करना सिखाया। उनकी विरासत हमें संस्कृतियों के बीच पुल बनाने, उत्पीड़ितों की आवाज़ को बुलंद करने और असमानता को बनाए रखने वाली प्रणालियों को चुनौती देने के लिए मजबूर करती है, चाहे वे कहीं भी हों।

उन्होंने एलान किया कि न्यूयॉर्क शहर के मेयर एरिक एडम्स ने 14 अप्रैल 2025 को न्यूयॉर्क शहर में डॉ. बीआर आंबेडकर दिवस के रूप में घोषित किया है। शहर के 8.5 मिलियन निवासी इस दिवस को मनाएंगे। फाउंडेशन फॉर ह्यूमन होराइजन के अध्यक्ष दिलीप म्हास्के ने कहा कि यह घोषणा लोकतंत्र, सम्मान, महिला सशक्तीकरण और ऐतिहासिक रूप से हाशिये पर पड़े समुदायों के लिए न्याय को आगे बढ़ाने में डॉ आंबेडकर की महान विरासत को स्वीकार करती है। हार्वर्ड डिविनिटी स्कूल के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. संतोष राउत ने कहा कि आज दुनिया के लिए डॉ. आंबेडकर का संदेश चार गुना होगा – लोकतंत्र, गहन सद्भाव, उत्पीड़न, भेदभाव और शांति।

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