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Union Budget 2024: यूपी को बजट में नहीं मिला कुछ खास,लोकसभा चुनाव में NDA के सांसद घटने का माना जा रहा असर

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Union Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट को यदि उत्तर प्रदेश के नजरिए से देखा जाए तो प्रदेश को कुछ भी खास हासिल नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश को लेकर बजट में कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया। देश के सबसे बड़े और सियासी नजरिए से सबसे अहम राज्य के लिए मोदी सरकार ने इस बार अपनी झोली नहीं खोली है। जानकारों का मानना है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को लगे झटके के कारण उत्तर प्रदेश के खाते में कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं आ सका।
शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में प्रदेश के लिए कोई बड़ा ऐलान न किए जाने पर हैरानी जताई जा रही है। कुछ छोटी-मोटी घोषणाओं से ही प्रदेश को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है। यही कारण है कि विपक्षी दलों की ओर से भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिरकार उत्तर प्रदेश को बजट में क्या हासिल हुआ।

प्रदेश में सांसद घटने का दिखा बड़ा असर

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में पड़ोसी राज्य बिहार की झोली तो भर दी गई मगर उत्तर प्रदेश के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। बिहार के लिए करीब 59 हजार करोड़ की परियोजनाओं की घोषणा की गई है मगर उत्तर प्रदेश के खाते में कोई खास उपलब्धि दर्ज नहीं हुई। इस देश के बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में जदयू की महत्वपूर्ण भूमिका का असर माना जा रहा है। जदयू 12 सांसदों के साथ एनडीए की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। बिहार के मामले में मोदी सरकार जदयू के दबाव में दिखी मगर उत्तर प्रदेश के मामले में ऐसा कुछ नहीं था। लिहाजा उत्तर प्रदेश के लिए छोटी-मोटी घोषणाएं ही की गईं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से भाजपा के 62 सांसद चुने गए थे मगर इस बार पार्टी के सांसदों की संख्या घटकर 33 पर सिमट गई है। बजट में यूपी की अनदेखी को इसका बड़ा कारण माना जा रहा है।

बजट आवंटन में मामूली बढ़ोतरी

अब यदि निर्मला सीतारमण के बजट में यूपी को लेकर की गई घोषणाओं को देखा जाए तो रोड नेटवर्क डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के बजट को 50 करोड़ से बढ़कर 450.84 करोड़ कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश पावर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क रिहैबिलिटेशन प्रोजेक्ट को पिछले बजट में 405.96 करोड रुपए मिले थे जिसे बढ़ाकर 441.93 करोड़ कर दिया गया है। सबसे उल्लेखनीय बात तो यह है कि इस बार के बजट में उत्तर प्रदेश के लिए किसी भी नए प्रोजेक्ट का ऐलान नहीं किया गया है। पुरानी योजनाओं के लिए ही बजट में कहीं कम तो कहीं ज्यादा राशि का आवंटन किया गया है

उत्तर प्रदेश में दो परियोजनाओं में बढ़ी राशि

यूपी के लिए इस बार किसी भी प्रकार के पैकेज की भी घोषणा नहीं की गई है। मोदी सरकार की महत्वपूर्ण योजना स्वच्छ भारत मिशन का बजट जरूर बढ़ा दिया गया है। इस बजट राशि को 1978.33 करोड़ से बढ़कर 4246.23 करोड़ कर दिया गया है। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के बजट में भी बढ़ोतरी की गई है। इसे 19966.63 करोड़ से बढ़ाकर 23613.03 करोड़ कर दिया गया है।

एजुकेशन सेक्टर में भी कोई बड़ी घोषणा नहीं

एजुकेशन सेक्टर में भी यूपी के लिए छिटपुट घोषणाएं ही की गई हैं। लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट आफ पेलियोबोटनी के लिए 86 लाख की राशि आवंटित की गई है जबकि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का बजट 100 करोड़ से बढ़ाकर 125 करोड़ कर दिया गया है। नोएडा के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ बायोलॉजिकल को साढ़े 19 करोड़ का बजट दिया गया है। यहीं के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ बायोकेमिकल्स के बजट में भी मामुली बढ़ोतरी की गई है। इसी तरह रामपुर की रजा लाइब्रेरी को 10 लाख की बजट राशि दी गई है।

वैश्विक पर्यटन स्थल बनेगा काशी विश्वनाथ मंदिर

रेलवे में भी उत्तर प्रदेश के लिए किसी बड़ी परियोजना का ऐलान नहीं किया गया है। दो लाइनों के दोहरीकरण और एक रेल लाइन को ट्रिपल करने के लिए बजट राशि दी गई है। आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए 550.33 करोड़ का आवंटन किया गया है। स्वास्थ्य, पर्यटन और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश के लिए कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर को वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का ऐलान जरूर किया

अंतरिम बजट के बाद अब यूपी की अनदेखी

अंतरिम बजट में यूपी के लिए मोदी सरकार ने झोली खोली थी मगर इस बार ऐसा कुछ नहीं दिखा है। जानकारों का मानना है कि उस समय लोकसभा चुनाव नहीं हुए थे मगर अब प्रदेश में झटका लगने के बाद उत्तर प्रदेश की झोली में खास कुछ नहीं आया है। यही कारण है कि समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस की ओर से सवाल खड़े किए जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, बसपा मुखिया मायावती और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय तीनों ने मोदी सरकार के बजट को निराशाजनक बताया है। अखिलेश यादव ने तो उत्तर प्रदेश की अनदेखी पर सवाल भी खड़े किए हैं।

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