Vice President Resignation: देश की राजनीति इस वक्त एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहां हर बयान हर कदम और हर इस्तीफा अपने भीतर एक बड़ी कहानी समेटे हुए है। सोमवार शाम जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दिया तो किसी को अंदाजा नहीं था कि इसका राजनीतिक असर सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पटना की सियासी गलियों तक भूचाल ला देगा। (Vice President Resignation) इस्तीफे के कुछ ही घंटों के भीतर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे स्वीकार कर लिया और गृह मंत्रालय ने भी देर रात इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। लेकिन असली धमाका मंगलवार की सुबह हुआ जब आरजेडी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे घटनाक्रम को “बीजेपी की सोची-समझी साजिश” करार दिया और दावा किया कि उपराष्ट्रपति पद को नीतीश कुमार को ऑफर करके बीजेपी उन्हें बिहार की सत्ता से हटाना चाहती है।
Vice President Resignation: पटना की राजनीति में नई हलचल ‘साजिश’ का दावा
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस इस्तीफे को लेकर जो दावा किया है उसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। (Vice President Resignation) पार्टी के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने साफ तौर पर कहा कि यह महज एक संयोग नहीं बल्कि एक सुनियोजित साजिश है। उनका कहना है कि बीजेपी जानती है कि नीतीश कुमार के रहते हुए बिहार में एनडीए की हार तय है इसलिए उसे उन्हें किसी और पद पर बैठाकर राज्य की सत्ता से हटाने की जरूरत है। (Vice President Resignation) आरजेडी ने दावा किया कि बीजेपी नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाकर एक ‘सम्मानजनक विदाई’ देने की कोशिश कर रही है ताकि वह बिहार की सत्ता अपने किसी नेता के हवाले कर सके। शाहीन ने कहा “पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे तक कह चुके हैं कि नीतीश को डिप्टी पीएम बनाया जाए। यानी पार्टी में लंबे समय से ये चर्चा चल रही है कि उन्हें बिहार से हटाना है।”
नीतीश को लेकर NDA और JDU में क्या चल रहा है?
नीतीश कुमार का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए चर्चा में आने के बाद जेडीयू में खलबली मचना लाजमी था। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता और नीतीश के बेहद करीबी माने जाने वाले श्रवण कुमार ने आरजेडी के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। (Vice President Resignation) उन्होंने कहा कि “नीतीश कहीं नहीं जा रहे हैं वे बिहार में रहेंगे और आगामी विधानसभा चुनावों में एनडीए को बहुमत दिलाएंगे।” श्रवण कुमार ने ये भी स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार को एनडीए ने अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषित कर दिया है। उनका कहना था कि “ऐसे किसी भी पद के लिए हमारे नेता इच्छुक नहीं हैं। यह आरजेडी की खोखली राजनीति है जो हर घटनाक्रम में साजिश देखती है।”
लोकसभा 2024 के चुनाव में जेडीयू ने आश्चर्यजनक प्रदर्शन किया था और बीजेपी को केंद्र में सत्ता में बनाए रखने के लिए उसकी भूमिका बेहद अहम हो गई थी। गठबंधन में जेडीयू अब एक निर्णायक ताकत बन चुकी है। यही वजह है कि बीजेपी नीतीश को नाराज़ करने का जोखिम शायद ही लेना चाहेगी लेकिन राजनीति में संकेत और दांव-पेच कब बदल जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। (Vice President Resignation) नीतीश कुमार 2022 में बीजेपी से अलग हो गए थे लेकिन फिर 2024 की शुरुआत में एनडीए में लौट आए थे। उस वक्त भी उनकी वापसी को लेकर चर्चाएं थीं कि वे किसी उच्च संवैधानिक पद की चाह रखते हैं मगर उन्होंने इन बातों को नकारते हुए बिहार के विकास और स्थिरता की बात कही थी।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर यह बीजेपी की रणनीति है तो इसमें एक तीर से कई निशाने साधे जा सकते हैंनीतीश को एक सम्मानजनक विदाई बिहार में अपनी पार्टी का सीएम और जेडीयू में फूट डालकर भविष्य में और मज़बूती हासिल करना। (Vice President Resignation) लेकिन सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार इतनी आसानी से इस दांव में फंसेंगे? नीतीश एक चतुर राजनेता माने जाते हैं। दशकों की राजनीति में उन्होंने कई बार गठबंधन बदले मगर अपनी पकड़ हमेशा बनाए रखी। अब जब बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर हैं क्या वे राज्य छोड़कर दिल्ली का दरवाजा खटखटाएंगे?
इस्तीफा या इशारा?
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा आखिर सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय है या फिर यह भारतीय राजनीति में किसी बड़े पुनर्गठन की शुरुआत? यह सवाल आने वाले कुछ हफ्तों में खुद-ब-खुद साफ़ हो जाएगा। (Vice President Resignation) लेकिन इतना तय है कि इस इस्तीफे ने बिहार से लेकर दिल्ली तक की राजनीति को हिला कर रख दिया है। अगर वाकई नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाए जाने की पेशकश होती है तो यह 2025 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बिहार की राजनीति की दिशा और दशादोनों बदल सकती है।