I Love Muhammad Controversy: 4 सितंबर को कानपुर के रावतपुर इलाके में ईद मिलाद-उन-नबी के जुलूस की तैयारियां चल रही थीं, तभी एक विवाद ने जन्म लिया। जुलूस के रास्ते में “आई लव मुहम्मद” के बैनर और पोस्टर लगाए गए, जो स्थानीय हिंदू समूहों के लिए आपत्ति का कारण बने। उनका कहना था कि इस स्थान पर पोस्टर और लाइटिंग के लिए किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यह स्थान हमेशा से धार्मिक आयोजनों के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।
इस मुद्दे को लेकर दोनों समुदायों के बीच विवाद बढ़ने के बाद पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा। पुलिस ने 22 लोगों को गिरफ्तार किया, जिन पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप था।
I Love Muhammad Controversy: पोस्टर को लेकर आरोप-प्रत्यारोप
मुस्लिम समुदाय ने आरोप लगाया कि उनके “आई लव मुहम्मद” के पोस्टर फाड़ दिए गए, जबकि हिंदू पक्ष ने आरोप लगाया कि उनके जागरण के पोस्टर भी नुकसान पहुंचाए गए। (I Love Muhammad Controversy) हालांकि, पुलिस ने इस पर स्पष्ट किया कि एफआईआर में “आई लव मुहम्मद” वाक्यांश का कोई उल्लेख नहीं है। पुलिस का कहना था कि कार्रवाई उन शरारती तत्वों के खिलाफ की गई है, जो सांप्रदायिकता फैलाना चाहते थे।
विवाद का फैलना
कानपुर में शुरू हुआ यह विवाद अब उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में भी फैल गया है। उन्नाव, बरेली, कौशांबी, लखनऊ और महाराजगंज जैसे शहरों में भी इसी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन हुए। (I Love Muhammad Controversy) इसके बाद यह विवाद उत्तराखंड, तेलंगाना (हैदराबाद), और महाराष्ट्र जैसे राज्यों तक पहुंच गया, जहां रैलियां और प्रदर्शन किए गए।
9 सितंबर को कानपुर पुलिस ने 24 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिनमें 9 नामजद और 15 अज्ञात लोग शामिल थे। आरोप था कि उन्होंने धार्मिक जुलूसों में नई परंपरा शुरू करने की कोशिश की और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास किया। एफआईआर के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गए और मामला और गरमाया।
राजनीतिक और धार्मिक प्रतिक्रियाएं
इस विवाद पर विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी:
- असदुद्दीन ओवैसी: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की और कहा कि “आई लव मुहम्मद” कहना कोई अपराध नहीं है। (I Love Muhammad Controversy) उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति का मुद्दा बताया।
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- समाजवादी पार्टी और बीजेपी: समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने इसे पुलिस की विफलता बताया, जबकि बीजेपी के प्रवक्ता ने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- अन्य मुस्लिम संगठन: वर्ल्ड सूफी फोरम और जमात-ए-मुस्तफा के मौलाना निजामी जैसे संगठनों ने इस हिंसा की निंदा की और शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन किया।
- पुलिस का पक्ष: पुलिस ने स्पष्ट किया कि उनकी कार्रवाई शरारती तत्वों के खिलाफ थी, जो सांप्रदायिकता फैलाना चाहते थे।
सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
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इस विवाद के पीछे कुछ गहरे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे भी छिपे हैं:
- असली मुद्दों से भटकाव: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मुस्लिम समुदाय को “आई लव मुहम्मद” जैसे आंदोलनों से ज्यादा “आई लव एजुकेशन” और “आई लव रिफॉर्मेशन” जैसे आंदोलनों की जरूरत है। (I Love Muhammad Controversyc) उनका कहना है कि इस तरह के धार्मिक विवादों से आम आदमी का भला नहीं होने वाला है, जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर सुधारने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
- इस्लाम में सुधार की आवश्यकता: कुछ विचारक यह भी मानते हैं कि हिंदू धर्म में पुनर्जागरण जैसे सुधार आंदोलन हुए, लेकिन इस्लाम में ऐसा कोई सुधार आंदोलन नहीं आया। (I Love Muhammad Controversy) इसके परिणामस्वरूप कट्टरपंथी धर्मगुरुओं का प्रभाव बढ़ गया है, जो धार्मिक विचारों को सख्ती से लागू करने का प्रयास करते हैं।
- बाहरी ताकतों की भूमिका: कुछ सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की ISI जैसी बाहरी एजेंसियां भारत में अस्थिरता और सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की कोशिश कर रही हैं। उनका उद्देश्य भारत को धर्म के आधार पर विभाजित करना है।
- नफरत का माहौल: इस पूरे घटनाक्रम के बारे में कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के विवादों से नफरत का माहौल पैदा होगा, जो देश के लिए नुकसानदायक हो सकता है। (I Love Muhammad Controversy) उनका कहना है कि लोगों को किसी के बहकावे में आकर सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और असल मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- विरोध का तरीका: “आई लव मुहम्मद” के पोस्टर लगाने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन नफरत फैलाने वाले नारे या बच्चों को प्रदर्शन में शामिल करना गलत है। शांतिपूर्ण विरोध सही है, लेकिन हिंसा और पत्थरबाजी इसे गलत बनाती है।
कानपुर के रावतपुर इलाके में “आई लव मुहम्मद” पोस्टर को लेकर शुरू हुआ विवाद अब उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में फैल चुका है। इसने न केवल धार्मिक विवाद को जन्म दिया, बल्कि राजनीतिक प्रतिक्रियाओं और समाज में तनाव भी बढ़ा दिया है।