राहुल गांधी ने चुनावी भाषण में कहा, ‘हिंदुस्तान की जनता के सामने हिंदुस्तान की सच्चाई लाइए, मैं यकीन मानता हूं कि अगर हमने सच्चाई सामने रख दी, तो हिंदुस्तान की राजनीति पूरी तरह बदल जाएगी. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में शुक्रवार को एक चुनावी जनसभा संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सीबीआई और ईडी के द्वारा की गई पूछताछ का अनुभव शेयर किया. उन्होंने कहा कि सीबीआई-ईडी ने मुझसे 55 घंटों तक पूछताछ की. राहुल गांधी ने बताया कि मैंने ईडी के अफसर से बोला, ‘देखिए, आप सोच रहे हो कि आपने मुझे यहां बुलाया है, मगर आप गलतफहमी में हो, मुझे आप नहीं बुलाए हो, मैं यहां आया हूं. क्योंकि मैं देखना चाहता हूं कि हिंदुस्तान के लोकतंत्र की हत्या कौन लोग कर रहे हैं.’
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आगे कहा कि पूछताछ के दौरान मुझे एक सेल (लॉकअप) दिखाई दिया. मैं सोच रहा था कि मेरे परदादा 12 साल तक इसी तरह के सेल में बैठे थे, कम से कम 10 साल तो मुझे भी जाना चाहिए. राहुल गांधी ने आगे कहा कि मुझे कोई भी सेल दो, कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरा कहना है कि हिंदुस्तान की जनता के सामने हिंदुस्तान की सच्चाई लाइए, मैं यकीन मानता हूं कि अगर हमने सच्चाई सामने रख दी, तो हिंदुस्तान की राजनीति पूरी तरह बदल जाएगी.
किस मामले में हुई थी राहुल गांधी से पूछताछ?
जून 2022 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से नेशनल हेरॉल्ड मामले में कई दिनों तक पूछताछ हुई थी.
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र आजादी के पहले का अखबार है. इस अखबार की शुरुआत इंदिरा गांधी के पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में की थी.नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ( Associated Journals Limited) नाम की कंपनी करती थी. इस कंपनी की स्थापना 1937 में की गई थी और नेहरू के अलावा 5000 स्वतंत्रता सेनानी इसके शेयरहोल्डर्स थे. ये कंपनी दो और दैनिक समाचार पत्रों का प्रकाशन करती थी. उर्दू में कौमी आवाज और हिन्दी में नवजीवन. यह कंपनी किसी एक व्यक्ति के नाम पर नहीं थी
अंग्रेजों को चुभने लगा अखबार का तेवर
आजादी की लड़ाई के दौरान नेशनल हेराल्ड स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज को स्थान देने वाला प्रमुख मुखपत्र बन गया. इस पत्र का उद्देश्य कांग्रेस में उदारवादी धड़े के विचारों और चिंताओं और संघर्ष को मंच प्रदान करना था. नेहरू इस अखबार में संपादकीय लिखते थे और ब्रिटिश सरकार की नीतियों की कड़ी समीक्षा, आलोचना करते. अंग्रेजी सत्ता को अखबार का ये तेवर चुभने लगा. आखिरकार 1942 में अंग्रेजों ने इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया.
1945 में इस अखबार को फिर से शुरू किया गया. 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने अखबार के बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया. लेकिन अखबार का प्रकाशन जारी रहा और कई नामी पत्रकार इसके संपादक बने. ये अखबार कांग्रेस की नीतियों के प्रचार-प्रसार का मुखर जरिया बना रहा.इस बीच 1962-63 में 0.3365 एकड़ जमीन दिल्ली-मथुरा रोड पर 5-A बहादुर शाह जफर मार्ग पर AJL को आवंटित की गई.10 जनवरी 1967 को प्रेस चलाने के लिए भवन निर्माण के लिए भूमि और विकास कार्यालय (एलएंडडीओ) द्वारा AJL के पक्ष में स्थायी लीज डीड बनाई गई.
इसमें कहा गया कि बिल्डिंग का और कोई इस्तेमाल नहीं होगा.साल 2008 में कांग्रेस की अगुवाई में जब यूपीए सत्ता में थी तो अखबार का प्रकाशन एक बार फिर बंद कर दिया गया. वजह बताया गया कि कंपनी वित्तीय घाटे में है और अखबार संचालन के खर्चे नहीं उठा पा रही है. 2010 में इस कंपनी के 1057 शेयर होल्डर्स थे. 2011 में घाटे में चल रही इस कंपनी के होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिए गए