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स्वास्थ्य

Chronic Kidney Disease rising in India: भारत में फैल रही बड़ी ‘महामारी’… अभी से एहतियात बरतना कर दें शुरू, वरना होगा पछतावा

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Chronic Kidney Disease rising in India: भारत में कोरोना महामारी के बाद से ही लोगों में एक डर बैठा है और इस बीच एक और चीज भारत के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है। इसका नाम क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) है। पहले यह बीमारी सिर्फ बुजुर्ग और अमीर तबके तक सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से यह तेजी से आम लोगों में फैल रही है। (Chronic Kidney Disease rising in India) मशहूर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. एच. सुदर्शन बल्लाल ने चेतावनी दी है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो आने वाले सालों में यह बीमारी महामारी का रूप ले सकती है।

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Chronic Kidney Disease rising in India: डॉक्टर बोले- हर साल 2 लाख लोग किडनी फेल्योर के शिकार

एजेंसी से बात करते हुए डॉ. बल्लाल ने बताया कि भारत में हर साल करीब दो लाख लोग ऐसे होते हैं जो किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। (Chronic Kidney Disease rising in India) इससे भी अधिक लगभग 20 लाख से ज्यादा लोग किडनी से जुड़ी किसी न किसी बीमारी से जूझते हैं। लेकिन सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें से सिर्फ 25% मरीजों को ही इलाज मिल पाता है।

उन्होंने याद किया कि 1990 के दशक में भारत में सिर्फ 800 नेफ्रोलॉजिस्ट थे और कई मरीजों को इलाज तक नहीं मिल पाता था। आज डॉक्टर बढ़े हैं, सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन मरीजों की संख्या उससे कई गुना ज्यादा बढ़ चुकी है।

इलाज महंगा, पहुंच सीमित

डॉ. बल्लाल का कहना है कि डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट अब पहले से आसान तो हुए हैं, लेकिन खर्च अभी भी बहुत भारी है। (Chronic Kidney Disease rising in India) 1990 में जहां सिर्फ 5% लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस था, वहीं आज यह आंकड़ा बढ़कर 60% हो गया है। फिर भी, लंबा डायलिसिस करवाना बहुत महंगा है। कई परिवार बीच में ही इलाज छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं।

डॉ. बल्लाल कहते हैं, “किसी भी व्यक्ति को सिर्फ पैसों की वजह से इलाज से वंचित नहीं होना चाहिए। भारत को अमेरिका या ब्रिटेन की तरह मजबूत सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की जरूरत है।”

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गांवों में उभर रहा बड़ा खतरा

दक्षिण भारत के कई गांवों में किसान एक अजीब और खतरनाक बीमारी का शिकार हो रहे हैं, जिसे CKDU (क्रॉनिक किडनी डिजीज ऑफ अननोन ओरिजिन) कहा जा रहा है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में युवा किसान बिना किसी स्पष्ट कारण के किडनी फेल्योर से जूझ रहे हैं। (Chronic Kidney Disease rising in India) इस बीमारी को लेकर वैज्ञानिक अभी भी उलझे हुए हैं। कोई कहता है गर्मी और डिहाइड्रेशन की वजह से, कोई कहता है कीटनाशक और रसायनों से दूषित मिट्टी का असर। अभी इसका कारण साफ नहीं है, लेकिन इतना तय है कि यह समस्या तेजी से फैल रही है और ग्रामीण भारत के लिए खतरे की घंटी है।

बचाव ही सबसे बड़ा इलाज

डॉ. बल्लाल का स्पष्ट संदेश है कि अगर भारत को किडनी डिजीज के खतरे से बचना है, तो इलाज नहीं, रोकथाम पर ध्यान देना होगा। (Chronic Kidney Disease rising in India) उनके मुताबिक, साफ पीने का पानी, स्वच्छता, पोषण और मजबूत पब्लिक हेल्थ सिस्टम किडनी रोगों से बचाव में सबसे अहम हैं।

वह कहते हैं, “साफ पानी और सफाई जितनी जिंदगियां बचा सकती है, उतना कोई बड़ा अस्पताल भी नहीं कर सकता।”

AI तकनीक बदल देगी किडनी बीमारी का भविष्य

आखिर में डॉ. बल्लाल ने कहा कि आने वाले दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) किडनी डिजीज की पहचान और इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। AI की मदद से बीमारी शुरुआती चरण में पकड़ में आ जाएगी, जिससे लाखों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी।

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