ईडी की ओर से की गई शुरुआती जांच से पता चला है कि सोरोस और उनके ओपन सोसायटी फाउंडेशन (ओएसएफ) को 2016 में गृह मंत्रालय की ओर से पूर्व संदर्भ श्रेणी में रखा गया था, जिससे इसे भारत में गैर-सरकारी संगठनों को अनियमित दान देने से प्रतिबंधित कर दिया गया था. बताया गया कि इस प्रतिबंध से छुटकारा पाने के लिए ओएसएफ ने भारत में सहायक कंपनियां बनाईं और एफडीआई और परामर्श शुल्क के रूप में पैसा भारत लाया गया. इस पैसे का उपयोग एनजीओ की गतिविधियों को राशि देने के लिए किया गया, जो फेमा कानून का उल्लंघन है.
ED Raid: एस्पाडा इन्वेंस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड की भी ईडी ने ली तलाशी
जानकारी के अनुसार, ईडी सोरोस, ईडीएफ और ओएसएफ की ओर से लाए गए अन्य एफडीआई फंडों के अंतिम उपयोग की भी जांच कर रहा है. ईडी की छापेमारी में मेसर्स एस्पाडा इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड की तलाशी भी शामिल है, जो भारत में एसईडीएफ का निवेश सलाहकार/फंड मैनेजर है और मॉरीशस इकाई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है.
कौन हैं जॉर्ज सोरोस?
जॉर्ज सोरोस हंगरी मूल के अमेरिकी कारोबारी हैं. अमेरिका और ब्रिटेन के शेयर बाजारों में उनका काफी नाम है. कुछ महीने पहले जॉर्ज सोरोस की भारत में काफी चर्चा हुई थी. बीजेपी ने जॉर्ज सोरोस पर भारत के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही भारत को लेकर जॉर्ज सोरोस अन्य कई विवादों में भी घिरे रहे हैं.
अडानी-हिंडनबर्ग विवाद के दौरान उनके बयानों की भी पार्टी ने आलोचना की थी. ओएसएफ के मुताबिक, वह मानवाधिकार, न्याय और जवाबदेह सरकार का समर्थन करने वाले समूहों को निजी तौर पर वित्तपोषित करने वाले दुनिया के सबसे बड़े समूहों में से एक है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबकि, 2021 के दौरान भारत के लिए इसका कुल खर्च 4,06,000 अमेरिकी डॉलर था. ओएसएफ ने 1999 में भारत में काम करना शुरू किया, जिसमें भारतीय संस्थानों में स्टडी और रिसर्च करने के लिए छात्रों को स्कॉलरशिप और फेलोशिप की पेशकश की गई.