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Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर नहीं दिख रहा चंद्रमा? अपनाएं ये शास्त्रों में बताए गए उपाय

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Karwa Chauth 2025: करवा चौथ भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख और भावनात्मक पर्व है, जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। (Karwa Chauth 2025) इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, यानी दिनभर पानी तक नहीं पीतीं, और रात में चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत खोलती हैं।

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ की पूजा विधि

व्रत की शुरुआत सुबह सूर्योदय से पहले सर्गी के साथ होती है, जो सास द्वारा बहू को दिया जाता है। इसके बाद महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं। शाम को स्नान करके नए वस्त्र पहनती हैं, पारंपरिक सोलह श्रृंगार करती हैं और पूजा की तैयारी करती हैं। (Karwa Chauth 2025) शाम को महिलाएं करवा माता और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। पूजा के दौरान मिट्टी के करवे (घड़ा) में जल, गेहूं, चावल, हल्दी, और कुछ सिक्के रखकर उसे सजाया जाता है। फिर महिलाएं सामूहिक रूप से या घर में बैठकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं, जिसमें एक पत्नी की अपने पति के प्रति अटूट निष्ठा और प्रेम का उल्लेख होता है।

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चंद्र दर्शन और व्रत खोलना

करवा चौथ की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है चंद्रमा का दर्शन। जैसे ही चंद्रमा उदय होता है, महिलाएं छलनी से पहले चंद्रमा को देखती हैं, फिर उसी छलनी से अपने पति के चेहरे को देखती हैं। इसके बाद वे पति के हाथों से जल या पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ी होती है, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम, त्याग और समर्पण का प्रतीक भी मानी जाती है।

जब चंद्रमा ना दिखे, तो क्या करें?

अक्सर ऐसा होता है कि मौसम खराब होने की वजह से चंद्रमा नजर नहीं आता। ऐसे में महिलाओं के मन में यह सवाल उठता है कि वे व्रत कैसे खोलें। शास्त्रों में इसका भी समाधान बताया गया है। यदि चंद्रमा बादलों में छिपा हो या नजर न आ रहा हो, तो महिलाएं भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा के दर्शन कर सकती हैं। अगर शिव प्रतिमा घर में उपलब्ध हो, तो उनकी पूजा करके वही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है- अर्घ्य देना, छलनी से दर्शन करना और फिर व्रत खोलना। अगर शिव प्रतिमा नहीं है, तो छत या आंगन में एक चौकी पर चावल या शुद्ध आटे से चंद्रमा की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जा सकती है। सही दिशा (पूर्व या उत्तर-पूर्व) में मुंह करके उस प्रतीकात्मक चंद्रमा को जल का अर्घ्य देना चाहिए और फिर उसी प्रकार व्रत का पारण किया जा सकता है।

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व्रत का महत्व

करवा चौथ का यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम और त्याग का प्रतीक है। शास्त्रों में भी इसकी महिमा का उल्लेख है कि यह व्रत करने से पति की दीर्घायु, पारिवारिक सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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