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Ashok Gajapathi Raju: मोदी सरकार से इस्तीफा देने वाले दिग्गज नेता को मिला सबसे बड़ा ‘इनाम’! गोवा में सियासी तूफान, क्या है इस फैसले के पीछे की सबसे बड़ी वजह ?

Published
2 महीना agoon
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News Desk

Ashok Gajapathi Raju: राजधानी दिल्ली में एक ऐसी राजनीतिक खबर सामने आई है, जिसने पूरे देश को चौंका दिया है। सत्ता के गलियारों में एक ही सवाल गूंज रहा है, आखिर यह हुआ कैसे? क्या दुश्मनी दोस्ती में बदल गई है, या फिर यह सिर्फ एक सियासी मास्टरस्ट्रोक है? राष्ट्रपति ने सोमवार को एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसके बाद से राजनीतिक पंडित भी हैरान हैं। हम बात कर रहे हैं पूर्व नागर विमानन मंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के वरिष्ठ नेता पी. अशोक गजपति राजू की। (Ashok Gajapathi Raju) आप सोच भी नहीं सकते कि मोदी सरकार से इस्तीफा देकर बाहर निकलने वाले इस नेता को अब एक बेहद बड़ी और अहम जिम्मेदारी दी गई है। जी हां, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें गोवा का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। यह फैसला सिर्फ एक नियुक्ति नहीं है, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश है, जिसके गहरे मायने हैं। (Ashok Gajapathi Raju) इस खबर ने गोवा से लेकर आंध्र प्रदेश तक की सियासत में हलचल मचा दी है। यह फैसला सिर्फ एक व्यक्ति के भाग्य से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह बीजेपी के पुराने सहयोगियों के प्रति उसकी बदलती रणनीति का भी संकेत हो सकता है।
Ashok Gajapathi Raju: विवाद के बाद हुई ‘दोस्ती’: जानें गोवा के नए राज्यपाल का पूरा इतिहास
पी. अशोक गजपति राजू का नाम सामने आते ही हर कोई हैरान है। आखिर क्यों एक ऐसे नेता को राज्यपाल बनाया गया, जिसने 2018 में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के विरोध में मोदी सरकार से इस्तीफा दे दिया था? यह सवाल आज हर किसी के दिमाग में घूम रहा है। लेकिन इस रहस्य को समझने के लिए आपको उनके सफर को जानना होगा। (Ashok Gajapathi Raju) अशोक गजपति राजू का जन्म आंध्र प्रदेश के विजयनगरम के एक प्रतिष्ठित राजपरिवार में हुआ था। उनकी राजनीतिक यात्रा किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। उन्होंने 1978 में जनता पार्टी के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। लेकिन असली पहचान उन्हें तब मिली जब वे 1982 में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) से जुड़े, जिसे उस वक्त एनटी रामाराव ने स्थापित किया था। वे कई बार आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए और उन्होंने वाणिज्य कर, उत्पाद शुल्क, वित्त और राजस्व जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों को संभाला। राज्य स्तर पर सात बार विधायक रहे राजू ने 2014 के लोकसभा चुनाव में विजयनगरम सीट से शानदार जीत दर्ज की।
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मोदी के पहले कार्यकाल में मंत्री पद और फिर अचानक इस्तीफा! क्या थी असली वजह?
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तो अशोक गजपति राजू को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का अहम जिम्मा सौंपा गया। एक मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल काफी सफल माना जाता है। (Ashok Gajapathi Raju) उन्होंने देश में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए ‘उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) जैसी महत्वाकांक्षी क्षेत्रीय संपर्क योजना को बढ़ावा दिया। इसके अलावा, उन्होंने राजमहेंद्रवरम और कडप्पा जैसे कई एयरपोर्ट परियोजनाओं की शुरुआत की। यही नहीं, उन्होंने हवाई यात्रा के दौरान बदतमीजी करने वाले यात्रियों के लिए ‘नो-फ्लाई लिस्ट’ जैसा कड़ा कदम भी उठाया था।
लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब साल 2018 में उन्होंने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसकी वजह थी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जाना। (Ashok Gajapathi Raju) इस मुद्दे पर टीडीपी और बीजेपी के बीच रिश्ते इतने खराब हो गए थे कि टीडीपी ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था। उस वक्त राजू का इस्तीफा एक बड़े राजनीतिक विरोध का प्रतीक बन गया था।
MANSAS से लेकर राजनीतिक गलियारों तक का अनोखा सफर
पी. अशोक गजपति राजू सिर्फ एक राजनेता नहीं हैं। उनका एक और पहलू भी है, जो उन्हें खास बनाता है। वे सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में भी सक्रिय रहे हैं। वे विजयनगरम की शैक्षिणिक संस्था MANSAS (Maharaja Alak Narayn Society for Arts and Science) से काफी लंबे समय तक जुड़े रहे और अध्यक्ष भी रहे। यह संस्था शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में बेहतरीन काम करती है। उनके इस योगदान ने उन्हें न सिर्फ एक नेता बल्कि एक सम्मानित समाजसेवी के रूप में भी पहचान दिलाई है।
क्या बीजेपी पुराने सहयोगियों को फिर से साध रही है?
इस नियुक्ति के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि बीजेपी का असली मकसद क्या है? क्या यह आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी के साथ अपने बिगड़े हुए रिश्तों को फिर से ठीक करने की एक कोशिश है? अशोक गजपति राजू बीजेपी के उन पहले सहयोगी दलों के नेताओं में से हैं, जिन्हें मोदी सरकार से अलग होने के बाद भी एक बड़ी संवैधानिक जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह एक ऐसा संदेश है, जो न सिर्फ टीडीपी बल्कि अन्य पुराने सहयोगियों के लिए भी है। (Ashok Gajapathi Raju) इस कदम से यह भी लग रहा है कि बीजेपी अपने गठबंधन को और मजबूत करना चाहती है। यह एक ऐसा कदम है, जो बताता है कि राजनीति में कोई भी फैसला सिर्फ एक घटना नहीं होता, बल्कि एक गहरी और सोची-समझी रणनीति का हिस्सा होता है।
इस फैसले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आंध्र प्रदेश में टीडीपी और बीजेपी के बीच रिश्ते फिर से सुधरेंगे? क्या यह फैसला 2029 के लोकसभा चुनाव की राजनीति को भी प्रभावित करेगा? (Ashok Gajapathi Raju) फिलहाल इस नियुक्ति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और यह साबित कर दिया है कि राजनीति में कोई भी बात आखिरी नहीं होती। (Ashok Gajapathi Raju) इसके साथ ही राष्ट्रपति ने प्रोफेसर असीम कुमार घोष को हरियाणा का राज्यपाल और जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता को लद्दाख का उपराज्यपाल नियुक्त किया है। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा अशोक गजपति राजू की ही हो रही है, जिसने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है।
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