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Manipur Violence: ‘रूस-यूक्रेन के लिए कबूतर उड़ा रहे, मणिपुर पर मुंह में दही जमी’, शिवसेना ने PM मोदी को घेरा, मानसिकता पर ही उठा दिए सवाल!

Published
9 महीना agoon
By
News Desk
Manipur Violence: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने मुखपत्र सामना के जरिए पीएम मोदी और एनडीए सरकार को घेरा है. ‘सामना’ के 14 सितंबर, 2024 के संपादकीय में लिखा गया कि मोदी सरकार रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए कबूतर उड़ा रही है, जबकि नॉर्थ ईस्ट के मणिपुर में हिंसा की आग फिर से भड़क उठी है. वहां हिंसा पर मोदी सरकार के मुंह में दही जमी’ है.
सामना के मुताबिक, छात्रों के आक्रोश को देखकर मणिपुर के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य मणिपुर छोड़कर सीधे असम की राजधानी गुवाहाटी पहुंच गए. पिछले डेढ़ साल से म्यांमार बार्डर पर यह राज्य जातीय हिंसा से जूझ रहा है. इस आग में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. (Manipur Violence) केंद्र सरकार ने मणिपुर की जनता को बीजेपी के सीएम बीरेन सिंह और मणिपुर से भागकर असम पहुंचे राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के ‘हवाले’ कर दिया है.

Manipur Violence: “PM मोदी और अमित शाह जिम्मेदारियों से नहीं बच सकते”
शिवसेना के मुखपत्र में आगे कहा गया कि पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जिम्मेदारी और जवाबदेही से बच नहीं सकते. बार-बार हिंसा की आग में जलने वाला मणिपुर केंद्र की मोदी सरकार की लापरवाही का पाप है. देश के एक राज्य को हिंसा के ज्वालामुखी के मुहाने पर रखना, उस ज्वालामुखी को फूटने देना, उसमें वहां के लोगों को जलने देना और रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए शांति के कबूतर उड़ाना. (Manipur Violence) वहां युद्धविराम को लेकर शेखी बघारना और मणिपुर हिंसा पर मुंह में दही जमाकर बैठ जाना, मोदी की घटिया मानसिकता का परिचायक है.
अब तक PM मोदी ने क्यों नहीं किया मणिपुर का दौरा?
सामना के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा गया कि प्रधानमंत्री के पास पुतिन और जेलेंस्की से मिलने का समय है, लेकिन डेढ़ साल से सांप्रदायिक आग में जल रहे मणिपुर के आम लोगों से मिलने का उनके पास समय नहीं है. पीएम मोदी ने युद्धग्रस्त यूक्रेन में ट्रेन से 16 घंटे की यात्रा की और भक्तों से तालियां बटोरीं, लेकिन उनके पास अभी तक मणिपुर के हिंसाग्रस्त हिस्से का संक्षिप्त दौरा करने का समय नहीं है. (Manipur Violence) उन्हें नहीं लगता कि उन्हें मणिपुर के आम लोगों से मिलना चाहिए और उन्हें सांत्वना देनी चाहिए.

मोदी-शाह मणिपुर में CM को हटाने में टालमटोल क्यों कर रहे हैं?
पीएम मोदी चाहते हैं कि यूक्रेन-रूस के लोगों को युद्ध से मुक्ति मिले. वे इसके लिए प्रयास करते हैं पर मणिपुरवासियों को जातीय हिंसा की आग से मुक्त कराया जाए, ऐसा उन्हें नहीं लगता. क्या किसी ने उन्हें ऐसा करने से रोका है? अन्य बीजेपी शासित राज्यों में चुटकियों में मुख्यमंत्री बदलने वाले मोदी-शाह मणिपुर में अप्रभावी मुख्यमंत्री को हटाने में टालमटोल क्यों कर रहे हैं? (Manipur Violence) मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में पूर्णकालिक राज्यपाल नियुक्त न करने और असम के राज्यपाल पर मणिपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपने की मोदी सरकार की क्या ‘मजबूरी’ है?
मणिपुर को लेकर PM मोदी हैं ‘लापरवाह
सामना में यह भी लिखा गया कि सरसंघचालक मोहन भागवत के सार्वजनिक रूप से कान ऐंठे जाने के बाद भी केंद्र सरकार ने मणिपुर में जातीय हिंसा को लेकर कानों में रूई ठूंस रखी है. गुजरात में एक गणेश विसर्जन जुलूस पर पथराव के बाद ‘सतर्क’ होने वाली केंद्र सरकार मणिपुर में रिमोट नियंत्रित ड्रोन हमलों के बावजूद भी चुप है. इन ड्रोन हमलों से छात्र बिफर गए हैं, लेकिन केंद्र के शासक थरथराए नहीं. यहां तक कि मणिपुर के हिंसाग्रस्त इलाके भी अब जाति के आधार पर विभाजित हो गए हैं. (Manipur Violence) यह सब भयानक है. फिर भी हमारे प्रधानमंत्री को मणिपुर से ज्यादा रूस-यूक्रेन युद्ध की ‘चिंता’ है, लेकिन मणिपुर को लेकर वे ‘लापरवाह’ हैं.

क्या आपके पास मणिपुर में शांति का कोई ‘फॉर्मूला’ नहीं है?
शिवसेना के मुखपत्र के अनुसार, “कहा जा रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए मोदी सरकार ने रूस को ‘फोर पॉइंट फॉर्मूला’ दिया है, लेकिन मणिपुर का क्या? क्या आपके पास मणिपुर में शांति का कोई ‘फॉर्मूला’ नहीं है? यदि वह नहीं है, तो आग लगा दें अपने फोर पॉइंट फॉर्मूले’ को पहले मणिपुर की आग बुझाओ और फिर अपने उस फॉर्मूले के ‘फायर ब्रिगेड’ को रूस-यूक्रेन ले जाओ.
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