News
Bihar Journalist Pension: बिहार में पत्रकारों को ₹15,000 प्रतिमाह पेंशन, यूपी में योगी के फैसले का इंतजार

Published
1 दिन agoon
By
News Desk
Bihar Journalist Pension: बिहार सरकार ने पत्रकारों के हित में एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना (BPSPY) के तहत मासिक पेंशन राशि को ₹6,000 से बढ़ाकर ₹15,000 कर दिया है। इसके साथ ही, पत्रकार की मृत्यु के बाद उनकी विधवा को ₹10,000 मासिक पेंशन का प्रावधान किया गया है। यह घोषणा 26 जुलाई 2025 को की गई, जो पत्रकारों की आर्थिक सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
आपको बता दें कि इस योजना का प्रारंभ बिहार में मार्च 2020 में हुआ था और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही इस योजना की शुरुआत की थी। शुरुआत में इस योजना में 48 पत्रकारों का चयन किया गया था, जिनमें 40 को नवंबर 2019 और शेष को मार्च 2020 से पेंशन मिली थी। (Bihar Journalist Pension) हालांकि पत्रकारों के लिए नई पेंशन राशि ₹15,000/माह है और पत्रकार के न रहने पर उसकी विधवा को ₹10,000/ माह पेंशन मिलेगी। इस पेंशन को पाने के लिए अनिवार्य है बिहार का निवासी होना। (Bihar Journalist Pension) पत्रकारिता में कम से कम 20 वर्ष का अनुभव। आयु 60 वर्ष या अधिक और राज्य सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (IPRD) से मान्यता।
Also Read –Kargil Vijay Diwas: कारगिल विजय दिवस: मोदी ने वीर जवानों को नमन किया, देशभर में श्रद्धांजलि का सिलसिला
पत्रकार संगठनों की भूमिका: बिहार प्रेस क्लब और राष्ट्रीय पत्रकार यूनियनों के लगातार प्रयासों से पेंशन वृद्धि, पात्रता में ढील और आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता संभव हुई।
Bihar Journalist Pension: अन्य राज्यों हाल
भारत के कई राज्यों में पत्रकारों के लिए पेंशन योजनाएँ लागू हैं, लेकिन राशि और पात्रता में भिन्नता है।
असम: ₹8,000–₹10,000/माह, ≥20 वर्ष सेवा, ≥60 वर्ष आयु, परिवार को 50% पेंशन।
त्रिपुरा: ₹10,000/माह, ≥10 वर्ष सेवा, ≥60 वर्ष, आय ₹3 लाख से कम, परिवार पेंशन।
झारखंड: ₹7,500/माह, ≥20 वर्ष सेवा, ≥58 वर्ष, 50% परिवार पेंशन।
Also Read –Odisha School Incident: 8वीं- 10वीं की छात्रा हुईं प्रेग्नेंट, यौन शोषण का मामला आया सामने, खबर पढ़कर शर्म से झुक जाएंगी आंखें
हरियाणा: ₹15,000/माह, मान्यता प्राप्त पत्रकार, दुर्घटना/बीमारी सहायता।
पश्चिम बंगाल: ₹2,500/माह, ≥15 वर्ष सेवा, ≥60 वर्ष, अन्य पेंशन न हो।
महाराष्ट्र: राशि निश्चित नहीं, ≥30 वर्ष सेवा, ≥60 वर्ष, मान्यता जरूरी।
उत्तराखंड: ₹8,000/माह, वेलफेयर फंड के अनुसार पात्रता।
पत्रकार संगठनों की भूमिका
भारतीय पत्रकार संघ (IJU) और नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (India) न्यूनतम ₹25,000 मासिक पेंशन और एकरूप पात्रता की मांग कर रहे हैं। (Bihar Journalist Pension) क्षेत्रीय संगठन कश्मीर पेन जैसे संगठन शपथ पत्र आधारित पात्रता की वकालत करते हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया प्रेस स्वतंत्रता और पत्रकार सुरक्षा के लिए सक्रिय है।
उत्तर प्रदेश में पत्रकार पेंशन की स्थिति
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में कोई पत्रकार पेंशन योजना नहीं है। 2024 में उच्चस्तरीय बैठक में योजना का आश्वासन दिया गया था, लेकिन जुलाई 2025 तक इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी है। (Bihar Journalist Pension) मोटे तौर पर इसमें राजकोषीय दबाव, बजट प्राथमिकताएँ, और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी होना जिम्मेदार माना जाता है।
खास बात यह है कि मान्यता प्राप्त पत्रकार की सीमित परिभाषा बहुत सीमित है, जिससे बड़ी संख्या में पत्रकार पेंशन योजना से बाहर हो जाते हैं जबकि पेंशन उन सभी पत्रकारों को मिलनी चाहिए जो जिला स्तर तक रिपोर्टिंग कर रहे हैं जिनकी रिपोर्टें लगातार पब्लिश हो रही हैं। (Bihar Journalist Pension) जो पत्रकार डेस्क पर काम कर रहे हैं जिनका ईएसआई या ईपीएफ कट रहा है।
पत्रकारों में भी अगड़े और पिछड़े दो तरीके के पत्रकार हो गए हैं एक वह मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं जिनके पेट भरे हुए हैं जो आलीशन बंगलों में रहते हैं जिनके पास कई कई गाड़ियां हैं जिनके लिए इस पेंशन की कोई अहमियत नहीं है दूसरी कतार में बहुत बड़ी संख्या में वह पत्रकार हैं जो कि स्टिंगर के रूप में काम कर रहे हैं जिन्हें प्रति खबर के हिसाब से पैसा मिलता है। या अखबारों के लिए तीन चार हजार रुपये महीना मानदेय पर जिलों से काम कर रहे हैं।
पत्रकार संगठनों की कमियाँ: अगर पत्रकार संगठनों की बात करें तो यूपी के सारे पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई संगठन है ही नहीं। (Bihar Journalist Pension) जो अगड़े पत्रकार हैं वह अपनी राजनीति चमकाने सत्ता से फायदा उठाकर मलाई खाने में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें साथी पत्रकारों की समस्या दिखायी नहीं देती। हितों की लड़ाई में उनमें आपसी विभाजन है, दूसरे राजनीतिक झुकाव की वजह से खामोश हैं और तीसरी श्रेणी वाले नेतृत्व संघर्ष में लगे हैं।
ग्रामीण/तहसील स्तर के पत्रकारों का प्रतिनिधित्व बहुत कमजोर है। अनियमित सदस्यता और सत्यापन की कमी इसमें प्रमुख हैं। (Bihar Journalist Pension) संयुक्त आंदोलन जैसी चीज दिखायीनहीं देती जिसमें सभी जिलों के पत्रकारों को शामिल करते हुए राज्य स्तरीय आंदोलन या ज्ञापन दिया गया हो।
वैसे यूपी में पत्रकारों के लिए ₹10,000–₹25,000 मासिक पेंशन की मांग है, न्यूनतम सेवा अवधि 10 वर्ष करने और 60 वर्ष आयु के बाद पेंशन मिले।
बिहार की पेंशन वृद्धि पत्रकार कल्याण की दिशा में एक मील का पत्थर है, जो अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा है। उत्तर प्रदेश में सभी पत्रकारों के लिए पत्रकार पेंशन योजना लागू करने के लिए सरकार और पत्रकार संगठनों को एकजुट होकर ठोस कदम उठाने होंगे तभी कुछ होना संभव है।
You may like
World’s Most Popular Leader: मोदी बने दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता, ट्रंप भी रह गए पीछे, मेलोनी का नाम तक नहीं, देखें पूरी लिस्ट!
Kargil Vijay Diwas: कारगिल विजय दिवस: मोदी ने वीर जवानों को नमन किया, देशभर में श्रद्धांजलि का सिलसिला
Bollywood Actress Working in Bhojpuri Industry: बॉलीवुड में नहीं मिला काम, अब भोजपुरी पर्दे में काम करने को मजबूर हुईं ये हसीनाएं, नाम सुन रह जाएंगे दंग
Indian Air Force: LAC पर बढ़ेगी भारत की ताकत! IAF खरीदेगा 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, अमेरिका या रूस से हो सकती है डील
Humayun Kabir New Party: विधानसभा चुनाव से पहले ही गिर जाएगी ममता बनर्जी की पार्टी? बंगाल की CM की कुर्सी पर पड़ी इस मुस्लिम नेता की नजर
Kevin Pietersen: केविन पीटरसन का संदेश: सरफराज की फोटो पृथ्वी शॉ को दिखाओ’, वायरल हुआ पोस्ट!