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Diplomatic Win for India: इंडिया की कूटनीतिक जीत के पीछे अजीत डोभाल भी, इस तरह निभाई अहम भूमिका

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Diplomatic Win for India: इंडिया की कूटनीतिक जीत के पीछे अजीत डोभाल भी, इस तरह निभाई अहम भूमिका

Diplomatic Win for India: कतर में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नौसेना के 8 पूर्व जवानों की रिहाई को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना गया है। इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया जा रहा है, जिन्होंने 1 दिसंबर 2023 को कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ मुलाकात कर इस मुद्दे पर बात की थी।

लेकिन इस जीत में एक और हीरो भी रहे, जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर 8 पूर्व नौसैनिकों की रिहाई में बड़ी भूमिका निभाई। (Diplomatic Win for India) उनका नाम है अजीत डोभाल जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) हैं।

डोभाल ने कतर के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में रहकर उन्हें इस मामले की गंभीरता समझाई। (Diplomatic Win for India) उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि भारतीय नौसेना के पूर्व जवानों को उचित कानूनी सहायता मिले।

डोभाल की कूटनीतिक पहल का ही नतीजा था कि कतर की एक अदालत ने 8 पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया। इनमें से 7 लोग भारत लौट चुके हैं।

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री मोदी और NSA डोभाल की जोड़ी भारत के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। मोदी के नेतृत्व और डोभाल की रणनीति के कारण भारत ने एक बार फिर अपनी कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया है।

Diplomatic Win for India: एनएसए Ajit Doval ने खुद कीं कई बैठकें

सूत्रों की मानें तो इन 8 भारतीयों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए भारत और कतर अधिकारियों के बीच कई बैठकें हुई थीं. एनएसए अजीत डोभाल ने खुद कतर अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं और इन 8 पूर्व नौसैनिकों की जेल की सजा खत्म करने पर भी लगातार जोर दिया. बताया गया कि अजीत डोभाल की कोशिशों के बाद ही कतर सरकार ने इन्हें रिहा किया. (Diplomatic Win for India) यही नहीं, कतर ने 8 भारतीयों के साथ ही एक अमेरिकी और एक रूसी को भी हिरासत से रिहा कर दिया.

India के अलावा Russia और USA के बंदी भी रिहा

सूत्र ने यह भी जानकारी दी कि भारत ने इस मामले में कूटनीतिक रूप से बहुत चतुराई दिखाई है. इंडिया ने लगातार इसे लेकर बैठक की, जिससे कतर के सामने यह समस्या रही होगी कि वह सिर्फ एक देश के नागरिकों को कैसे रिहा करेगा और अन्य देशों के ऐसे अनुरोधों को कैसे नजरअंदाज करेगा. ऐसे में बाद में कतर ने भारत के प्रयासों से अमेरिका और रूस के एक-एक बंदी को भी रिहा कर दिया.

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