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defense sector: भारत बने डिफेंस में ताकतवर, इसके लिए अंतरिम बजट में पिछले साल के मुकाबले 4.72 फीसदी की बढ़ोतरी
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10 महीना agoon
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News Deskdefense sector: 1 फरवरी, 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024 का अंतरिम बजट पेश किया। गरीब, युवा, किसान और महिलाओं के लिए योजनाओं के साथ यह बजट कई मायनों में खास रहा। रक्षा क्षेत्र के लिए भी बजट में कुछ घोषणाएं की गईं, लेकिन चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से लगातार खतरों को देखते हुए, यह आवंटन कम ही कहा जाएगा।
defense sector: रिकॉर्ड आवंटन
क्या यह पर्याप्त है?
चीन और पाकिस्तान से लगातार बढ़ते खतरों को देखते हुए यह आवंटन पर्याप्त नहीं लगता। चीन अपनी सैन्य शक्ति लगातार बढ़ा रहा है और लद्दाख में सीमा विवाद अभी भी सुलझा नहीं है। पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और सीमा पार से गोलीबारी की घटनाएं लगातार हो रही हैं। इन खतरों से निपटने के लिए रक्षा क्षेत्र को और अधिक धन की आवश्यकता है।
आवश्यकताओं पर ध्यान
यह जरूरी है कि रक्षा क्षेत्र के आवंटन का इस्तेमाल आधुनिक हथियारों और उपकरणों की खरीद, सैनिकों की ट्रेनिंग और सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया जाए। (defense sector) रक्षा अनुसंधान और विकास पर भी अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए रिकॉर्ड आवंटन हुआ है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। चीन और पाकिस्तान से लगातार बढ़ते खतरों को देखते हुए रक्षा क्षेत्र को और अधिक धन की आवश्यकता है। यह जरूरी है कि रक्षा क्षेत्र के आवंटन का इस्तेमाल देश की सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए किया जाए।
अभी है और भी जरूरतें
इस प्रीडेटर ड्रोन्स के माध्यम से बॉर्डर के साथ ही समुद्री मार्गों की भी निगरानी संभव है जिससे सुरक्षा मज़बूत होगी. इन ड्रोन्स से भारत को मानवीय सहायता याआपदा राहत, लोगों की खोज और उनका बचाव, लंबे डिस्टेंस को टारगेट करना, ग्राउंड और एयर लेवल पर युद्ध और, पानी के नीचे पनडुब्बी रोधी युद्ध, हवा में युद्ध और हवा में ही लक्ष्य गिरा देने जैसी चीज़ों में भी मदद मिलेगी. (defense sector) भारत को ये ड्रोन्स मिलने से चीन और पाकिस्तान की चिंता भी बढ़ेगी, जो दो पड़ोसी भारत के लिए हमेशा ही चिंता का सबब बने रहते हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि अगर 2047 तक हमें विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में आना है तो एक सशक्त सेना भी होनी चाहिए. अभी भारत की सेना दुनिया में चौथे स्थान पर है. अभी रूस चूंकि यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ है, इसलिए हमारी बहुतेरी जरूरतें वह पूरा नहीं कर पा रहा है. मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के जरिए डीआरडीओ को और सेना के तीनों अंगों को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी है. इसीलिए, पनडुब्बी से लेकर देश-निर्मित टैंकों तक डीआरडीओ, भारत की रक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने में लगा है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है.
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