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Farmers Protest: मक्की-दालों की डिमांड, फिर भी MSP से नीचे बेचने को मजबूर किसान; गिर रहा कपास की खेती का ग्राफ

Published
12 महीना agoon
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News DeskFarmers Protest: मक्की और दालों की बाजार में अच्छी मांग होने के बावजूद किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दामों पर अपनी फसलें बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं कपास की खेती का ग्राफ लगातार गिर रहा है।
मक्की का MSP 1962 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन किसानों को 1800 रुपये से भी कम दाम मिल रहा है। (Farmers Protest) दालों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। मसूर का MSP 6600 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन किसानों को 5500 रुपये से अधिक दाम नहीं मिल पा रहा है।
किसानों का कहना है कि मंडियों में व्यापारी मनमानी कीमतों पर फसल खरीद रहे हैं। (Farmers Protest)सरकार द्वारा MSP की गारंटी देने के बावजूद किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कपास की खेती का ग्राफ गिरने का मुख्य कारण भी MSP से कम दाम मिलना है। (Farmers Protest) पिछले कुछ वर्षों में कपास की कीमतों में गिरावट आई है, जिसके कारण किसानों ने इस फसल को बोना कम कर दिया है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। (Farmers Protest) MSP को लागू करने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनानी चाहिए और किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो किसानों की मदद कर सकते हैं
MSP को लागू करने के लिए एक मजबूत तंत्र बनाया जाना चाहिए।
किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार को बाजार में हस्तक्षेप करना चाहिए।
किसानों को बेहतर बीज और उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए।
किसानों को कृषि विज्ञान और तकनीकों के बारे में जागरूक करने के लिए सरकार को अभियान चलाना चाहिए।
यह जरूरी है कि सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करे ताकि वे अपनी फसलों का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें और उनकी आय में वृद्धि हो सके।

Farmers Protest: कपास की खेती का ग्राफ दिन प्रतिदिन गिर रहा
कपास की खेती के लिए तीन लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में कपास की खेती का क्षेत्रफल सिर्फ 1.75 लाख हेक्टेयर है। कपास की खेती का क्षेत्रफल पंजाब में इस मौसम में पहली बार दो लाख हेक्टेयर से कम हो गया है। पंजाब में 90 के दशक में सात लाख हेक्टेयर में कपास की खेती होती थी लेकिन बाद के वर्षों में यह धीरे-धीरे कम होती गई। (Farmers Protest) 2012-13 में कपास की खेती 4.81 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जो 2017-18 में और ज्यादा घटकर 2.91 लाख हेक्टेयर रह गई। सत्र 2018-19 में कपास की खेती 2.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में, 2019-20 में 2.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में, 2020-21 में 2.51 लाख हेक्टेयर और 2021-22 में यह 2.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में कपास की खेती हुई।
पंजाब की मंडियों में 9.79 लाख क्विंटल कपास की आवक हुई, इसमें से भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने सिर्फ 1.76 लाख क्विंटल खरीदा, जबकि निजी व्यापारियों ने 7.98 लाख क्विंटल खरीदा । (Farmers Protest) 2.46 लाख क्विंटल कपास कम दरों पर खरीदा गया है। एमएसपी 6900 रुपये तय की हुई है लेकिन बाजार में 5200 रुपये तक प्रति क्विंटल बिका।
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